बक्सर अपनी भव्यता की ओर अग्रसर
यूपी के बलिया को बिहार से जोड़ने वाला विश्व इतिहास के मानस पटल पर एक विशेष उपस्थिति दर्ज कराने वाला बक्सर वर्तमान में अपनी भव्यता के उत्कर्ष बिंदु की तरफ अग्रसर है।
पौराणिक इतिहास
दैवीय काल से ही अपनी पौराणिकता के लिए प्रसिद्ध इस ऐतिहासिक स्थल को बाघों का शहर होने के कारण व्याघ्रसर के नाम से जाना जाता था। और यहाँ पहले एक सरोवर भी था।
यहीं पर विश्वामित्र आश्रम भी था। उस समय श्रीराम और लक्ष्मण ने गंगा नदी पार करके राम रेखा घाट से होते हुए चरित्रवन गए और ताड़का का वध किये जिससे आज भी विश्वामित्र कालोनी, चरित्रवन और ताड़क नाला का भी प्रमाण है। बक्सर से पूर्व दिशा में 5 किमी की दूरी पर अहिरौली जहाँ पर गौतम ऋषि की श्रापित पत्नी अहिल्या का उद्धार स्थल होने के कारण अहिल्या देवी की मंदिर भी इस प्रमाणिकता को सिद्ध करती है। इसी क्रम में खरिका, ब्रम्हपुर और प्लासी भी है।
आधुनिक इतिहास
सन 1764 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हेक्टर मुनरो के खिलाफ अपनी रियासतों को बचाने के लिए संयुक्त रूप से नवाब मीर कासिम(बंगाल), सुजाउद्दौला(अवध) तथा मुग़ल सम्राट शाह आलम द्वितीय ने जंग छेड़ा। हालांकि ब्रिटिश कंपनी यह युद्ध जीत ली थी जिसे बक्सर युद्ध के नाम से जाना जाता है। बक्सर के समीप ही कर्मनाशा और गंगा के संगम स्थल चौसा में 1539 में हुमांयू और शेरशाहसूरी के मध्य राजशाही जंग हुई, जिसमें शेरशाहसूरी विजयी हुआ।
बक्सर स्टेशन
बक्सर का किला
बक्सर में ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर पग-पग पर मौजूद हैं। इन ऐतिहासिक धरोहरों मे से एक है बक्सर का किला जिसका निर्माण बिहार के राजा भोजदेव ने करवाया था। हालांकि इस किले के बारे में ज्यादा जानने को नहीं मिलता, लेकिन अगर आप इतिहास के पन्ने खंगाले तो इसका जिक्र अवश्य मिलेगा। यह एक विशाल किला है जिसके विषय में शायद ज्यादा लोगों को नहीं पता। समय के साथ-साथ यह खंडहरनुमा किला टूट-टूट कर बिखरने पर है लेकिन इसका महत्व आज भी बरकरार है। वर्तमान में किले के मैदान पर जन सभाओं और जिला स्तर पर बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। किले के बहुत से भाग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं। लेकिन किले के बहुत से भाग आज भी देखने लायक हैं। बिहार के इतिहास को समझने के लिए आप यहां की सैर का प्लान बना सकते हैं।