13 अप्रैल से शुरू होगा नव संवत्सर – 2078, राजा और मंत्री होंगे मंगल…….हिंदू नव वर्ष का होगा प्रारंभ

कासगंज /सचिन उपाध्याय : सोरों शूकर क्षेत्र के विख्यात ज्योतिषी पण्डित हेमंत त्रिगुणायत ने बताया कि कब से हिंदू नव वर्ष का होगा प्रारंभ चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिन ही सूर्योदय के समय ब्रह्मा जी ने पृथ्वी की रचना की थी. यही मुख्य कारण है कि, पंचांग अनुसार हर वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा अर्थात प्रथम तिथि के साथ ही, हिन्दू नव वर्ष का प्रारंभ भी होता है और इसी दिन से नया संवत्सर लागू होता है. वर्ष 2021 में दिनांक 13 अप्रैल, मंगलवार से नव संवत्सर 2078 आरंभ होगा.  और इसी दिन गुड़ी पड़वा भी है। तभी से विक्रम संवत 2078 भी प्रारंभ हो जाएगा परंतु मंगलवार से प्रारंभ हो रही प्रतिपदा के कारण इस संवत का राजा क्रूर ग्रह मंगल होगा। मंगल दंगल भी कराता है और मंगल भी करता है। पंचांग की गणना से देखें तो इस बार 13 अप्रैल मंगलवार को आनंद संवत्सर का आरंभ हो रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा गुड़ी पड़वा पर 13 अप्रैल को अमृतसिद्धि योग में नव संवत्सर आनंद का आरंभ होगा। मंगलवार के दिन वर्ष का आरंभ होने से वर्ष के राजा मंगल होंगे। मंत्री का पद भी मंगल के पास रहेगा।


क्या होता है नवसंवत्सर-??

नया वर्ष लगने पर नया संवत्सर भी प्रारंभ होता है। जैसे बारह माह होते हैं उसी तरह 60 संवत्सर होते हैं। संवत्सर अर्थात बारह महीने का कालविशेष। सूर्यसिद्धान्त अनुसार संवत्सर बृहस्पति ग्रह के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। 60 संवत्सरों में 20-20-20 के तीन हिस्से हैं जिनको ब्रह्माविंशति (1-20), विष्णुविंशति (21-40) और शिवविंशति (41-60) कहते हैं।

60 संवत्सर : संवत्सर को वर्ष कहते हैं: प्रत्येक वर्ष का अलग नाम होता है। कुल 60 वर्ष होते हैं तो एक चक्र पूरा हो जाता है। वर्तमान में प्रमादी नामक संवत्सर है। 13 अप्रैल से आनंद नामक संवत्सर शुरू होगा।

संवत्सर का नाम इस प्रकार हैं:- प्रभव, विभव, शुक्ल, प्रमोद, प्रजापति, अंगिरा, श्रीमुख, भाव, युवा, धाता, ईश्वर, बहुधान्य, प्रमाथी, विक्रम, वृषप्रजा, चित्रभानु, सुभानु, तारण, पार्थिव, अव्यय, सर्वजीत, सर्वधारी, विरोधी, विकृति, खर, नंदन, विजय, जय, मन्मथ, दुर्मुख, हेमलम्बी, विलम्बी, विकारी, शार्वरी, प्लव, शुभकृत, शोभकृत, क्रोधी, विश्वावसु, पराभव, प्ल्वंग, कीलक, सौम्य, साधारण, विरोधकृत, परिधावी, प्रमादी, आनंद, राक्षस, नल, पिंगल, काल, सिद्धार्थ, रौद्रि, दुर्मति, दुन्दुभी, रूधिरोद्गारी, रक्ताक्षी, क्रोधन और अक्षय। जैसा कि मंगलवार से नया संवत्सर शुरू होने के कारण इस संवत्सर का राजा और मंत्री मंगल हैं।

मंगल को युद्ध का देवता कहा जाता जाता है। यह हिंसा, दुर्घटना, भूकंप, विनाश, शक्ति, सशस्त्र बलों, सेना, पुलिस, इंजीनियरिंग, अग्निशमन, शल्य चिकित्सा, कसाई, छिपकर हत्या करने वाला, दुर्घटना, अपहरण, बलात्कार, उपद्रव, सामाजिक और राजैनतिक अस्थिरता के कारक ग्रह हैं। विक्रम संवत 2078 के राजा मंगल होने से इस साल आंधी-तूफान का भी जोर रहेगा। मतलब लोग महामारी से मुक्त होंगे परंतु उपद्रव और प्राकृतिक घटनाओं से परेशान रहेंगे। यह वर्ष पूरी दुनिया को अच्छी और बुरी घटनाओं से प्रभावित करेगा तथा अप्रिय घटनाएं भी होंगी। कई देशों में तनाव और आपसी टकराव की बमबारी भूंकप पहाड़ों से आपदाएं आती हुई नजर आएंगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *