आधुनिक विज्ञान हैरान! करोड़ों का स्नान, न महामारी, न डर – आखिर रहस्य क्या है?
1. ना मास्क, ना दूरी, ना सैनिटाइज़र – फिर भी सुरक्षित करोड़ों लोग!
हर ओर भीड़ का सैलाब, मगर कोई डर नहीं, कोई महामारी नहीं। कुंभ के पावन स्नान में करोड़ों श्रद्धालु एक ही नदी में एक साथ डुबकी लगा रहे हैं, फिर भी संक्रमण का नामोनिशान नहीं। क्या ये आस्था की शक्ति है या गंगा मां का चमत्कार?
2. जहां विज्ञान असफल, वहां आस्था कायम
आधुनिक विज्ञान सदियों से बीमारियों और महामारी की खोज में लगा है। हर बार सावधानी, दवा और बचाव की बातें करता है। मगर यहां, बिना किसी सुरक्षा के, लाखों लोग एक साथ स्नान कर रहे हैं और फिर भी सब कुछ सामान्य है। आखिर क्यों?
3. कुंभ में ना कोई ऊँच-नीच, ना जात-पात – सब एक समान
कुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समाज की एक ऐसी झलक है जहां कोई भेदभाव नहीं। ना कोई ब्राह्मण, ना क्षत्रिय, ना वैश्य, ना शूद्र। बस श्रद्धा, आस्था और मोक्ष की एक समान चाहत।
4. क्या आस्था का विज्ञान, आधुनिक विज्ञान से बड़ा है?
विज्ञान हर चीज को प्रमाणों से देखता है, परंतु क्या कभी विज्ञान ने मोक्ष, पुनर्जन्म, पाप और पुण्य के रहस्यों को समझने की कोशिश की है? शायद यह समय है कि विज्ञान थोड़ा झुके और आस्था के इस चमत्कार को समझने की कोशिश करे।
5. सीखो झुकना, क्योंकि झुकने से ज्ञान बढ़ता है!
आधुनिक विज्ञान को यह स्वीकार करना होगा कि आस्था और धर्म के पीछे भी एक गूढ़ विज्ञान छिपा हो सकता है। क्या यह समय नहीं आ गया कि विज्ञान खुद इस शक्ति को समझने का प्रयास करे?
तो क्या आस्था और कुंभ का विज्ञान आधुनिक विज्ञान से कहीं ऊपर है? सोचिए, समझिए और गहराई में जाकर विचार कीजिए!