अगर आपके जीवन में है किसी प्रकार की पीड़ा तो करे ये उपाय
हमारे जीवन में तेजपुंज तथा शक्तिशाली शनि का अदभुत महत्व है| वैसे शनि सौर जगत के नौ ग्रहों में से सातवां ग्रह है, जिसे फलित ज्योतिष में अशुभ माना जाता है, लेकिन प्राचीन ग्रंथों के अनुसार शनिदेव ने शिव भगवान की भक्ति व तपस्या से नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ स्थान प्राप्त किया है।
शनि को विधाता ने प्रकृति का संतुलन बनाये रखने के लिए न्याय का कार्य सौंपा है। शनि दंड के देवता हैं।
जब शनिदेव को हुआ अपने बल का घमंड
एक बार शनि देव को अपने बल और पराक्रम पर घमंड हो गया था,लेकिन उस काल में भगवान हनुमान के बल और पराक्रम की कीर्ति चारों दिशाओं में फैली हुई थी।
जब शनि देव को भगवान हनुमान के बारे में पता चला तो वह भगवान हनुमान से युद्ध करने के लिए निकल पड़े. जब भगवान शनि हनुमानजी के पास पहुंचे तो देखा कि भगवान हनुमान एक शांत स्थान पर अपने स्वामी श्रीराम की भक्ति में लीन बैठे है, शनिदेव ने उन्हें देखते ही युद्ध के लिए ललकारा।
जब भगवान हनुमान ने शनिदेव की युद्ध की ललकार सुनी तो वह शनिदेव को समझाने पहुंचे. लेकिन शनिदेव ने एक बात न मानी और युद्ध के लिए अड़ गए, इसके बाद भगवान हनुमान और शनिदेव के बीच घमासान युद्ध हुआ, युद्ध में शनिदेव भगवान हनुमान से बुरी तरह हारकर घायल हो गए, जिसके कारण उनके शरीर में पीड़ा होने लगी. इसके बाद भगवान ने शनिदेव को तेल लगाने के लिए दिया, जिससे उनका पूरा दर्द गायब हो गया।
इसी कारण शनिदेव ने कहा कि जो मनुष्य मुझे सच्चे मन से तेल चढ़ाएगा। मैं उसकी सभी पीड़ा हर लूंगा और सभी मनोकामनाएं पूरी करूंगा।
तब से शनिदेव को तेल चढ़ाने की परंपरा की शुरुआत हुई और शनिवार का दिन शनिदेव का दिन होता है और इस दिन शनिदेव पर तेल चढ़ाने से जल्द आपकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।