भगवान नृसिंह की जयंती धूमधाम से रामानुज आश्रम में मनाई गई
प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम में भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
इस अवसर पर धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे ने शालिग्राम में विराजित भगवान नृसिंह का गंगाजल से अभिषेक एवं वेद मंत्रों के मध्य पूजन अर्चन करने के पश्चात लक्ष्मी नृसिंह स्त्रोत का पाठ कर कहा कि, आज ही के दिन बैसाख मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को भगवान नारायण ने अपने भक्त की रक्षा के लिए नृसिंह स्वरूप में खंभे से प्रकट हुए और हिरण्यकश्यपु का वध किया था।
पुरुषोत्तम मास, न दिन था, ना रात थी, प्रदोष काल था। भगवान ने अपने जांघों पर हिरण्यकश्यपु को रख कर उसकी छाती को विदीर्ण करके उसकी आंतों की माला अपने गले में डाल लिया।
समस्त देवता आए भगवान के स्वरूप को देखकर डर कर भाग गए ,लक्ष्मी जी को लेकर के आए लक्ष्मी जी भी डर गयीं, तब ब्रह्मा जी ने प्रहलाद को आगे करके भगवान की बड़ी सुंदर स्तुति किया ।भगवान ने प्रहलाद को अपनी गोद में बैठा लिया। प्रहलाद भगवान की दाढ़ी को सहलाने लगे, भगवान प्रहलाद को देखकर मुस्कुरा रहे थे बोले जो कुछ मांगना हो मांग लो प्रह्लाद ने कहा मुझे सब कुछ मिल गया। आपसे इतना निवेदन है कि मेरे पिता की शत्रुता को भूल करके उसे अपने श्री चरणों में स्थान दीजिए। भगवान ने प्रसन्न होकर प्रहलाद को वचन दिया ऐसा ही होगा। भगवान ना बालक देखते हैं, ना युवा देखते हैं, ना प्रौढ़ावस्था देखते हैं जो जिस भाव से ठाकुर जी को याद करता है भगवान उसकी रक्षा करते हैं, उसका कल्याण करते हैं।
भक्त प्रहलाद को दिए हुए वचन के अनुसार भगवान ने दिखाया कि मैं हर जगह उपस्थित हूं ।
‘विश्वासो फलदायक:”
ठाकुर जी के प्रति विश्वास रखना चाहिए। वह सदा हमारी रक्षा करते हैं। कार्यक्रम में मुख्य रूप से नारायणी रामानुजदासी डॉ अंकिता पांडे विश्वम प्रकाश पांडे इं पूजा पांडे आदि रहकर पूजन अर्चन किया।