भगवान परशुराम की आड़ में  चुनावी लाभ उठाने की कोशिश में राजनीतिक पार्टियां, आगामी चुनाव को देखते हुए ब्राम्हणों को लुभाने का प्रयास

भगवान परशुराम

2022 में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिए सभी पार्टियां अपनी अपनी तैयारियों में जुट गई हैं। इसके लिए अभी से ही बड़े-बड़े वादों वाले बयान बाजी शुरू हो चुकी है। इस बार आगामी मुख्यमंत्री चुनाव में ब्राम्हणों को लुभाने के लिए भगवान परशुराम को मुद्दा बनाया गया है।

दरअसल विकास दुबे एनकाउंटर के बाद से ही उत्तर प्रदेश के योगी सरकार पर प्रदेश में ब्राह्मण विरोधी होने का आरोप लगता आ रहा है। विपक्षी पार्टियों का कहना है कि योगी सरकार का रवैया ब्राह्मणों के लिए हितकारी नहीं है। पिछले जितने भी एनकाउंटर हुए हैं उनमें प्रमुख रूप से ब्राह्मणों को निशाना बनाया गया है। इस मुद्दे को राजनीतिक पार्टियां चुनावी रंग देना चाहती हैं। भगवान परशुराम के आड़ में ब्रह्मणों को लुभाने का कार्य हो रहा है। सबने अपने-अपने तरीके से भगवान परशुराम की महिमामंडित करना शुरू कर दिया है।

समाजवादी पार्टी ने एक दिन पहले ही घोषणा की थी कि वो लखनऊ में भगवान परशुराम की 108 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित करवाएगी। अब बहुजन समाजवादी पार्टी अध्यक्ष मायावती ने भगवान परशुराम व अन्य जातियों के साधु संतों के नाम पर अस्पताल और समुदायिक केंद्र बनवाने का वादा किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा से गठबंधन करने वाली बसपा, समाजवादी पार्टी की भगवान परशुराम की 108 फुट ऊंची प्रतिमा लगवाने की घोषणा पर पलटवार करते हुए मायावती ने कहा कि सत्ता में आए तो इससे भी भव्य और बड़ी प्रतिमा बनवाएंगे।

मायावती ने योगी सरकार पर ब्राह्मण समाज के उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कहा कि कानपुर विकास दुबे कांड की आड़ में पूरे उत्तर प्रदेश में ब्राम्हण समाज का हर स्तर शोषण व उत्पीड़न किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार दूसरी पार्टियों की तरह अपने राजनीतिक स्वार्थ में किसी भी समाज के साथ मुंह में राम बगल में छुरी की तरह बर्ताव नहीं करती है। सबको एक नजर से देखती है।  उन्होंने आगे कहा कि प्रदेश में लगातार जारी अपराधियों के जंगल राज को समाप्त करने के लिए योगी सरकार को बहुजन समाजवादी पार्टी की तरह कानून द्वारा कानून का राज स्थापित करना होगा।

भगवान परशुराम की भव्य प्रतिमा लगवाने की मायावती की घोषणा पर पलटवार करते हुए समाजवादी पार्टी ने कहा कि सब जानते हैं कि वह ब्राह्मणों के कितनी हितैषी हैं। सपा के राष्ट्रीय सचिव अभिषेक मिश्र ने कहा कि मायावती चार बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। हम सभी जानते हैं कि जब वह सत्ता में होती हैं तो किस की मूर्तियां स्थापित की जाती है।

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