ब्राह्मण एक बूंद नींबू है हजारों लीटर दानवीय रूपी दूध को फाड़ सकता है:– धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुजदास

प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम आजकल सभी लोग ब्राह्मणों के खिलाफ बोल रहे हैं, कोई ब्राह्मण की बुराई कर रहा है, कोई कह रहा है मेरी संस्था में ना आओ, चुनाव परिणाम आने पर लोग कहते हैं ब्राह्मणवादी व्यवस्था के कारण ऐसा हुआ, कोई कहता है कि ब्राह्मण दलितों को मंदिरों में नहीं प्रवेश करने देते, कोई कहता हैं। ब्राह्मण दया के पात्र है,तो क्या सच में ब्राह्मण दया के पात्र हैं,लगता तो ऐसा ही है, निश्चित हैं।
मित्रो तभी तो सब ठीक ठाक चल रहा है ,बरना एक दिन भी क्रूरता आ जाए ब्राह्नणों में तो हाहाकार मच जाए तीनो लोको में,भूल गए परशुराम,चाणक्य, चंद्रशेखर आजाद ,आदि को,इनके नामों से अंग्रेज ,कांपते थे,कई वंसज त्राहि माम करते रहे ,आखिर क्षत्रिय एवं कुछ प्रतिशत को छोड़कर कौन से धर्म व सम्प्रदाय के लोग ब्राह्मणों से ईर्ष्या नही करते,सभी की चाहत यही कि ब्राह्मण धरा से गायब हो जाएं ,पर ब्राह्मण को छोड़ो जिस दिन खेतो में काम करते कोई बभनी काट ले तो धन्वंतरि भी नही बचा पाते।


ब्राह्मण लग जाये तो क्या बचोगे ,तो क्यों ब्राह्मणों से ईर्ष्या करते हो,बिन ब्राह्मण के न जी सके हो न जी सकोगे,ये भूसुर यानी पृथ्वी के देव है तो भक्त बिन भगवान के कहाँ ,भजो ब्राह्मण देवाय कल्याण होगा नहीं तो हर घर मे एक एक कालयवन होगा,सब के जीवन में जन्म से पूर्व मरणोपरांत ब्राह्मण की भूमिका महत्व पूर्ण है ही ,नकार सकते हो क्या,कुछ ब्राम्हणों ने निज धर्म से हटकर भयानक अपराध किया है पर क्या सब को दोषी मानोगे हर जाति में अपराधी हैं तो ब्राह्मणों पर इतना आरोप क्यों,क्यों की दया के सागर है क्रोध नही करते ,दया के पात्र को कम कहते हो, मित्रो जिसमे दया हो वही दया का पात्र होता है,किसी ठाकुर को अपशब्द कह दो चार दिन ,पांचवे दिन फाड़ के फेंक दे यदि क्षत्रिय होगा तो ,क्यों की क्षत्रिय में क्रोध अनिवार्य है जैसे सूर्य में ताप, सिंह में प्रताप ,उसी तरह प्रजा का बाप यानी जन रक्षक क्षत्रिय,पर पंडित देखा नही कोहड़ा पूड़ी कोहड़ा पूड़ी,खड़ी चुनाई,तिलक धारी,बकते रहते है क्या किसी ब्राह्मण ने कही रिपोर्ट दर्ज कराई,पर किसी दलित को चमार कह दो और कुछ मत कहो ,बस दलित एक्ट,सोंचो किसी दलित को पंडित कह दो तो खुस,मतलब उसकी माँ की गाली हुयी। परन्तु उस पर भी प्रसन्न,किसी वैश्य को चोर चोर कह दो बटखरा भेंक कर मार देगा,तो दया किसमें हुयी, ब्राह्मणों में या अन्य वर्ग के लोगों में।
हर जगह ब्राह्मण की भूमिका महत्व पूर्ण होती है, चाहे चोरी हो छिछोरी हो गवाही हो ज्ञान हो सलाह कारी हो,अपने बुद्धि के बल पर जिन्दा है। बरना मायावती जी , कांशीराम जी तो इन्हें कबका विदा कर देते।तिलक तराजू और तलवार इनको मारो,,,,पर सतीश मिश्रा बिन उनका भी काम न चला आज तक,अकबर ने बीरबल को पूजा,गांधी ने मदनमोहन मालवीय को पूजा, प्रभु श्री राम ने वशिष्ठ को, बलि ने वामन को ,कृष्ण ने सुदामा को ,निसचरों ने शुक्राचार्य को, स्वामी रामानुजाचार्य ने दलितों को मंदिर में प्रवेश दिलाया उन्हें अपना शिष्य बनाया। ब्रह्मा जी के पुत्र प्रचेता के पुत्र बाल्मीक ने लोगों में संस्कार देने के लिए रामायण की रचना किया। गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरितमानस की रचना करके घर-घर राम की चर्चा के लिए प्रेरित किया। मौर्य वंश ने चाणक्य को तो आप सब किस गुमान में हो ,अरे ब्राह्मण भृगु का लात विष्णु को खाना पड़ा।
ब्राह्मण श्राप ने परीक्षित को नही छोड़ा,ब्राह्मण के अस्थि से वज्र बना तब असुर मरा तुम भी दे देते अपनी अस्थि,मंगल पांडेय को भूल जाते हो,कितने स्वार्थी हो गए,जिस ब्राह्मण के तप पर धरा टिकी उसी का अपमान ,अक्षम्य अपराध सभी के लिए,अरे जो फिरंगियों से लड़ा,अपना तन तपाया,मन गवाया,योग किया भोग त्यागा सबसे से ज्यादा ब्राह्मण ही थे।जिसने ब्राह्मणों की नकल करनी चाही आशा राम, रामपाल, राधे माँ ,आदि की तरह फल पाया अवश्य पाया।ब्राह्मण एक आदर्श है, एक दिव्य गुण है, एक धर्म है, एक परम्परा एवं साधना है।तेज विवेक बल समर्थ अर्चना आराधना ,देव कर्म पितृ कर्म सबके अग्रगणी ब्राह्मण ही हैं और रहेंगे, तो जय सुर जय भूसुर,,नमो ब्रह्मणय देवाय गो ब्राह्मण हिताय च।
सभी ब्राह्मण के चरण रज की बन्दना ,सब का कल्याण करें धर्म की रक्षा करे,सनातन की परंपरा के अवगाहक बने।कोई वेदपाठी ब्राह्मण वेद पढ़ता है तो अनुस्वार विसर्ग उच्चारण त्रुटियों पर ध्यान देते हुए पाठ करता है पर कोई अन्य पढ़े तो ऊंट की तरह भलभलाता है। इसी से पता चलता है कि कौन जाति का है।
ब्राम्हण नीबू है, हजारो लीटर दूध रूपी दानवो को एक बूंद में फाड़ दे,ब्राम्हण चन्दन है ललाट की चमक बन रात भर ठंड में भी स्टेज पर नचा दे,ब्राह्मण संस्कार है विश्वामित्र को ब्रम्हर्षि बनाने वाले,ब्राह्मण संस्कृति और स्मरणा है। द्रोण प्रतिबिम्ब से एकलव्य बनाने वाले अरे किसी ब्राम्हण से मिलो तो सही मनुष्य बन जाओगे यदि उसमें ब्रम्हणत्व हुआ तो मतलब यदि आचार विचार संस्कार समर्पण संस्कृति सनातनी ब्राह्मण हुआ तो अन्य ब्राह्मणों की भगवान जाने पर समूह में ब्राह्मणों को कोसना दोषी मानना गलत बात है।

” विप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार”

भगवान का अवतार सर्वप्रथम ब्राह्मणों के लिए होता है। ऐसा मत करो नही तो उद्धार नही होगा मायावी मनुष्यो।

बदंउ प्रथम महीसुर चरना।
मोह जनित संशय सब हरना।।

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