कोरोना के कारण छात्रों का कीमती साल बर्बाद नहीं होना चाहिये, जिन्दगी चलती रहे: सुप्रीम कोर्ट

नई  दिल्ली : शीर्ष अदालत ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि परीक्षार्थियों का एक बहुमुल्य वर्ष बर्बाद नहीं जाना चाहिए। कोरोना के कारण जिन्दगी रूके नहीं बल्कि चलती रहनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कोविड समस्या के बीच जेईई (मेन) और नीट-यूजी की परीक्षायें रोकने की मांग करने वाली याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया। अदालत का कहना है कि लम्बे समय तक छात्रों के भविष्य को खतरे में नहीं डाला जा सकता है। नेशनल टेस्टिंग एजेन्सी की ओर से परीक्षा में कोरोना से संबंधित सभी सावधानियों का ख्याल रखने की बात पहले ही की जा चुकी है। इसलिए हम एनटीए के फैसले में हस्तक्षेप करके छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते।

11 राज्यों के 11 छात्रों ने परीक्षा स्थगित करने की मांग की थी

दरअसल देश के 11 राज्यों के 11 छात्रों ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी का तीन जुलाई को नोटिस खारिज करने की मांग की थी। जिसमें जेईई और नीट की परीक्षा आगामी सितंबर में कराने का फैसला लिया गया है। छात्रों की ओर से कहा गया कि कोरोना महामारी से पूरा देश जूझ रहा है। इस त्रासदी ने सबको घर से बाहर निकलने से रोक दिया है। ऐसी स्थिति में परीक्षा केन्द्र पर जाकर परीक्षा देना छात्रों के लिए खतरे से खाली नहीं है। इस लिए जबतक परिस्थिति सामान्य न हो तब तक परीक्षा नहीं करानी चाहिए।

अदालत के इस फैसले के बाद प्रस्तावित तारीख पर परीक्षा कराने की मांग वाली याचिका को वापस लिया गया

साॅलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने, जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरानी की पीठ को बताया कि परीक्षाओं के आयोजन के उपरांत कोरोना से संबंधित सभी गाईडलाइनस की अनुशरण की जायेगी साथ ही सुरक्षा के सभी उपाय किये जायेंगे। कोर्ट के इस आदेश के बाद उस याचिका को वापस ले लिया गया जिसमें जेईई और नीट प्रस्तावित तारीख पर ही आयोजित करने की मांग की गयी थी।

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