देश की युवाशक्ति के जोश व जज़्बे का प्रतीक है…अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद!
छात्रशक्ति ही…राष्ट्रशक्ति होती है!
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अर्थात ABVP विश्व का सबसे बड़ा छात्र संगठन हैं। ABVP की स्थापना 9 जुलाई 1949 में की गयी थी। इस परिषद की स्थापना छात्रहित और छात्रों को सही दिशा-निर्देश प्रदान करने के लिए की गयी। राष्ट्रवादी सोच से ओतप्रोत छात्रों के इस संगठन की हर वर्ष देशव्यापी सदस्यता होती है। देश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में परिषद की शाखायें कार्यरत हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का नारा:
ABVP का घोष वाक्य है: ज्ञान, शील और एकता। ज्ञान अर्जित करना, स्वस्थ आचरण करना और संगठित रहना इस परिषद का नारा है।
ABVP की स्थापना, राष्ट्रहित में:
यह संगठन छात्रों से शुरू हुआ और देश के कोने-कोने में व्याप्त समस्याओं के निर्मूलन करने हेतु एक संगठित छात्र शक्ति का परिचायक बन गया है। विद्यार्थी परिषद् के अनुसार, छात्रशक्ति ही राष्ट्रशक्ति होती है। विद्यार्थी परिषद् का मूल उद्देश्य राष्ट्र का नवनिर्माण करना है।
देशव्यापी समस्याओं को प्रमुखता से उठाते आये हैं:
स्थापना के समय से ही संगठन ने छात्रों के हित में व देशहित से जुड़े समस्याओं बको प्रमुखता से उठाया है और देशव्यापी आंदोलनों का नेतृत्व किया है।
सामाजिक सरोकार के कार्य में भी अग्रणी भूमिका निभाते आये हैं:
प्राकृतिक आपदाओं में ABVP के छात्र बढ़चढ़ करते सहयोग करते हैं। समाज मे गहरे पैठ जमाये कुरीतियों को मिटाने के अनेकों कार्यक्रमों का आयोजन करवाते हैं। चिकित्सा शिविर, रक्तदान शिविर जैसे अन्य समाज सेवा में निरंतर संलग्न हैं। बिहार में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के नाम सबसे ज्यादा रक्तदान करने का रिकॉर्ड है ।
गरीब विद्यार्थियों के सहायता के लिए सदैव तत्पर:
ABVP के सदस्यों द्वारा, स्वामी विवेकानंद निःशुल्क शिक्षा शिविर का आयोजन किया जाता है। इसमे वैसे छात्र पढ़ाई कर सकते हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए प्राइवेट कोचिंग संस्थानों की फीस देने में असमर्थ हैं।
ABVP का उद्देश्य:
राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए छात्रों में राष्ट्रवादी सोच को जगाना व उसे प्रोत्साहित करना ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का मूल उद्देश्य है। देश की युवाशक्ति का यह संगठन है। इसकी मूल अवधारणा राष्ट्रीय पुनर्निर्माण है।