धर्म सम्राट स्वामी जी को भारत रत्न प्रदान किया जाए:– डॉ राकेश सिंह

प्रतापगढ़ सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा विगत वर्षों की भांति धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी की पुण्यतिथि डा संगम लाल त्रिपाठी भंवर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। कार्यक्रम का शुभारंभ धर्म सम्राट के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वल एवं माल्यार्पण कर तथा विधिवत शास्त्रीय ढंग से आचार्य आलोक के नेतृत्व में वेदपाठी ब्राह्मणों के मध्य डॉक्टर राकेश सिंह एवं धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने किया।
मुख्य अतिथि डॉ राकेश सिंह ने कहा कि आज स्वामी जी की 42 वीं पुण्यतिथि तिथि पर हम सब एकत्रित हुए हैं। हम सब बड़भागी है कि हमारे जनपद में धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी का अवतरण हुआ और आप द्वारा सनातन धर्म के लिए किए गए कार्य को आज संपूर्ण भारत ही नहीं विश्व में उदघोषित किया जाता है ।आपका दिया हुआ उद्घोष धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो, भारत अखंड हो, गौ हत्या बंद हो, धर्म में हस्तक्षेप ना हो, मंदिरों की मर्यादा सुरक्षित रहे हमारे जीवन का मूल मंत्र है। धर्माचार्य जी ने कार्यक्रम आयोजित कर हम सब पर अति कृपा किया है। हमारे देवली सोमवंशी साम्राज्य के आपके पूर्वज राजगुरु थे और हम आज भी आपको कुलगुरु के रूप में मानते हैं। आप द्वारा सनातन धर्म की रक्षा हेतु किए जा रहे कार्य प्रसंसनीय एवं बंदनीय है।


आयोजक ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने विस्तृत रूप से स्वामी जी के जीवन पर चर्चा करते हुए कहा कि आपके पूर्वजों को कालाकांकर साम्राज्य द्वारा भटनी नामक ग्राम में बुलाया गया। पंडित राम निधि ओझा के घर आप अवतरित हुए महादेवी से आपका पाणिग्रहण संस्कार हुआ। 19 वर्ष की अवस्था में भगवती स्वरूपा कन्या को तथा संपूर्ण परिवार को त्याग कर प्रयाग की ओर गंगा के किनारे चल पड़े। आपके गुरु ब्रह्मानंद सरस्वती जी थे। नरवर में आपने शिक्षा प्राप्त किया। हाथों में जितना प्रसाद आता था उतना ही प्रसाद लेते थे। एक कौपन और शौच के लिए एक हांडी साथ में रखते थे ,कभी आपने धनार्जन नहीं किया।


देश की आजादी के लिए आप जेल गए गौ हत्या के विरोध में 1947 और 1966 में आंदोलन किया। अखिल भारतीय रामराज्य परिषद की स्थापना किया। जिसके प्रथम अध्यक्ष स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पूर्व शंकराचार्य थे। लोकसभा तथा विधान के प्रथम चुनाव में आपके अनेकों विधायक और चार सांसद चुनाव जीत कर गए सीकर के सांसद नंदलाल शर्मा ने हिंदी में प्रथम बार लोकसभा में भाषण दिया। आपकी अनेक अचंभित करने वाली घटनाएं हैं। रासपंचाध्यायी पर वृंदावन में बरसते पानी में आपने चर्चा किया। आप परम शिव भक्त थे और भगवान शालिग्राम के तीर्थपाद्द का सेवन बगैर किये कोई वस्तु ग्रहण नहीं करते थे। अपने जिस राम राज्य की कल्पना किया उसमें न कोई दरिद्र हो, ना कोई दुखी हो, न कोई दीन हो ऐसा राम राज्य चाहिए। 1966 में गोपाष्टमी के दिन दिल्ली की संसद के सामने भारत के लाखों संतों की उपस्थिति में आपने गौ हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया। जिसमें गोली चली और अनेक साधु संत मारे गए आपका हृदय द्रवित हो गया। मेरठ जेल में डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आपसे वेद सुनते थे उन्हीं की प्रेरणा से लोहिया जी ने चित्रकूट में रामायण मेले का शुभारंभ किया। आपकी अनेक रचनाएं हैं जिसमें मुख्य रूप से विचार पियूष, वेदांत पारिजात, रामायण मीमांसा, मार्क्सवाद और रामराज्य संघर्ष और शांति, राष्ट्रीय सेवक संघ और हिंदू धर्म, भक्ति सुधा, पूंजीवाद समाजवाद एवं रामराज्य , वेदांत चिंतामणि, तथा विचार नवनीत के द्वारा सनातन धर्म को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए आपने इनकी रचना किया। काशी में माघ मास शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को शिव शिव शिव तीन बार कहते हुए परमधाम को चले गए। आप के आदेश से भगवान शालिग्राम हृदय पर विराजित किए गए थे।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉक्टर ओम प्रकाश त्रिपाठी, विशाल नाथ तिवारी, डॉ सुरेश व्योम, कृष्ण कुमार दुबे, पं सुरेश पांडे संभव, दिनेश शर्मा प्रतिनिधि डॉक्टर महेंद्र सिंह पूर्व मंत्री, पंडित आशीष शर्मा, शकुंतला पांडे, आस्था पांडे, कल्पना तिवारी, चांदनी दुबे, राकेश प्रतापगढ़ी, शेष नारायण दुबे राही, गंगा पांडे भावुक, गिरीश चंद्र मिश्रा, इं विकास मिश्रा, अमित कुमार मिश्रा, नारायणी रामानुज दासी ,डॉ अवंतिका पांडे, विश्वम प्रकाश पांडे आदि ने अपने विचार एवं रचनाओं के माध्यम से श्रद्धा सुमन अर्पित किया।
आयोजक द्वारा अतिथियों को श्री राम नाम की अंगवस्त्रम पट्टिका को प्रदान कर सम्मानित किया गया।अंत में सर्वसम्मत से आपको भारत सरकार से भारत रत्न प्रदान करने की मांग की गई। कार्यक्रम का संचालन डा श्याम शंकर शुक्ला श्याम ने किया।

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