घरों में श्रद्धाभाव से मनाया गया भगवान पाश्र्वनाथ भगवान निर्वाण महोत्सव
ललितपुर न्यूज : भगवान श्रीपाश्र्वनाथ का निर्माण महोत्सव अखिल भारतवर्षीय दिगंबर जैन परिषद के आह्वान पर बड़े ही भक्ति भाव से ने पूरे देश में बड़े श्रद्धा भाव से अपने घरों में मनाया। परिषद के महामंत्री अजय जैन साइकिल ने बताया कि भगवान पाश्र्वनाथ के पूजन से केतु ग्रह की भी शांति होती है एवं कष्ट निवारक चिंता मणि पारसनाथ भी कहा जाता है।
सभी दिगंबर जैन मंदिरों में श्री 1008 पारसनाथ भगवान की मूर्ति अवश्य होती है और मूलनायक के रूप में भी कई जगह भगवान विराजमान है। श्रीसिद्ध क्षेत्र पावागिरी में (पवा तालबेट) भगवान पारसनाथ की अतिशय कारी प्रतिमा विराजमान है यहां पर प्रत्येक माह की 15 तारीख को अनेकों चमत्कार होते हैं। भगवान पाश्र्वनाथ का जन्म बनारस में अश्व सेन राजा के यहां वामा देवी माता की कोख से हुआ।
8 वर्ष की उम्र में ही अणुव्रत जैसा की धर्म की जानकारी हुई और बाल ब्रह्मचारी व्रत धारण कर तपस्या की। आपकी तपस्या में पूर्व जन्म के प्रभाव रखने वाले कमठ ने बहुत विघ्न बाधा डाली बड़े-बड़े पत्थर फेंके और घोर व्रजपात किया। लेकिन भगवान अपनी तपस्या में लीन रहे अतिशय क्षेत्र बिजोलिया मे मुनि श्री सुधासागर जी महाराज ने अपने ज्ञान से उन शिलाओं को बताया जो भगवान के ऊपर फेंकी गई। बिजोलिया क्षेत्र में भगवान की तपस्या की थी और आज भी अनेक शिलाए और उन पर भगवान के चरण विराजमान हैं। तपस्या में जब विघ्न बहुत हुआ तब भगवान के ऊपर उपसर्ग रोकने के लिए धर्मेंद्र देव एवं माता पद्मावती विशाल सर्प के रूप लेकर आए और भगवान के ऊपर फन फैलाकर उपसर्ग को रोका। इसी कारण भगवान पारसनाथ के सिर पर हमेशा सर्प के कई फन विद्यमान रहते हैं। 1008 सर्प के फन भी कई मूर्तियों में रहते हैं। भगवान सम्मेद शिखर की सिद्ध भूमि से श्रवण शुक्ल सप्तमी के दिन 82 करोड़ 84 लाख 45 हजार 742 मुनियों के साथ स्वर्ण भद्र कूट से मोक्ष पधारे थे।
इस दिन में मोक्ष सप्तमी का दिन माना जाता है। इस दिन अधिकांश माता बहन बेटियां व्रत रखती हैं और भोजन का त्याग करती हैं। भगवान पारसनाथ का दिन रवि व्रत भी कहा जाता है ऐसी मान्यता है। रविवार के दिन भगवान पारसनाथ की पूजा करने से सारे कष्ट दूर होते हैं और मनवांछित फल मिलता है। ऐसे हजारों लाखों उदाहरण प्रमाण विद्यमान हैं कि पारसनाथ भगवान के स्मरण से कष्ट का निवारण होता है
रिपोर्ट : राहुल साहू