गोपीकाओं ने माता कात्यायनी के व्रत से ही भगवान श्री कृष्ण को प्राप्त किया था :धर्माचार्य
प्रतापगढ़ 7 अप्रैल दिन बृहस्पतिवार को आज नवरात्र की षष्ठी तिथि है।
इस दिवस माता कात्यायनी की सेवा की जाती है माता पार्वती का एक नाम कात्यायनी भी है। पूर्व काल में ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर माता ने आपके यहां अवतार लिया।
श्रीमद्देवीभागवत पुराण और मार्कंडेय पुराण में देवी मां के महात्मय का वर्णन किया गया है।
स्कंद पुराण के अनुसार परमेश्वर के नैसर्गिकग क्रोध से उत्पन्न आप हुयी। जिन्होंने देवी पार्वती द्वारा दिए गए सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया। वह शक्ति की आदिरुपा हैं। जिसका उल्लेख पाणिनि और पतंजलि के महाभाष्य में किया गया है।
यजुर्वेद के तैत्तरीय आरण्यक में मां चंडिका सहित आप का उल्लेख किया गया है। उमा काली दुर्गा गौरी आदि नामों से आप की वंदना की जाती है। गोपीकायें प्रातः काल सूर्योदय के पूर्व यमुना जी में स्नान करके माता कात्यायनी की पूजा करती थी। धूप दीप नैवेद्य अर्पित करके माता कात्यायनी से कहती हैं।
कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंद गोप सुतं देवि पतिं में कुरु ते नमः ।।
इस प्रकार उनसे भगवान श्री कृष्ण को पति के रूप में पाने का वरदान मांगती थी। भगवान श्री कृष्ण उन गोपियों के वस्त्र का चीर हरण किया। गोपी कौन है? गो माने इंद्रियां पी माने पीना। जो समस्त इंद्रियों से भगवान श्री कृष्ण के गुणों का रसास्वादन करता है वही गोपी है। गोपी हम सब लोग है ।भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों के किसी लहंगा चुनरी को नहीं चुराया था। भगवान श्री कृष्ण ईश्वर हैं, गोपी है जीव , वस्त्र है अविद्या अर्थात जीव रूपी गोपियों के अविद्या रूपी वस्त्र को कृष्ण रूपी ईश्वर ने हरण किया।माता कात्यायनी के आशीर्वाद से शरद पूर्णिमा की रात में आपने किशोरी जी के संग गोपियों सहित महारास किया।
जिन लड़कियों का विवाह न हो रहा हो उन्हें माता कात्यायनी का व्रत रहना चाहिए और उनकी पूजा करनी चाहिए ठाकुर जी की कृपा से उनका पाणि ग्रहण संस्कार निश्चित संपन्न होगा। आपका पूजन मंत्र है।
चंद्रहासोज्जवल करा शार्दूल वरवाहना।
कात्यायनी शुभं दध्यादेवी दानव घातिनी।।