इसबार रक्षाबंधन में चीन को चार हज़ार करोड़ का आर्थिक नुकसान होना तय
चीन को सबक सिखाने के लिए, भारतीय बहनों ने अपने जांबाज़ सिपाही भाइयों के लिए किया संकल्प
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की नेतृत्व में विगत जून को शुरू हुए चीनी उत्पादों के बहिष्कार के देशव्यापी अभियान को पूरे देश में भरपूर समर्थन मिल रहा है। इस अभियान में न सिर्फ बाजार बल्कि उपभोक्ता भी इस बार चीन को सबक सिखाने के लिए तत्पर हैं। इसकी एक झलक 3 अगस्त को रक्षाबंधन पर दिखाई देगी। मार्केट में इस बार ‘मेड इन इंडिया’ राखियों की मांग बढ़ गई है। सभी खरीददार एक स्वर में भारतीय सामानों से बनी राखियां ही मांग रहे हैं।
इस बार चीन को लगेगी बड़ी चपत:
प्रतिवर्ष रक्षाबंधन के त्योहार में राखियों का व्यापार करीब 6 हज़ार करोड़ का होता है। जिसमें चीन की हिस्सेदारी 4 हज़ार करोड़ की हो गई थी। अब चीन को इतने रुपये का चुना लगना तो तय हो गया है।
बॉर्डर पर भेजी जा रहीं 5000 राखियां:
CAIT दिल्ली की महिला अध्यक्ष पूनम गुप्ता ने ANI को बताया कि भारतीय सामान का इस्तेमाल कर हम राखी बना रहे हैं।आत्मनिर्भर भारत, वोकल फॉर लोकल इन सबको ध्यान में रख हम अपने 20 भाईयों को श्रद्धांजलि देना चाहते हैं जो गलवान घाटी में शहीद हो गए थे। हम 5000 राखियां बॉर्डर पर भेज रहे हैं। इसको देने के लिए हम कल राजनाथ जी से मिलेंगे।
बॉयकॉट चाइनीज प्रोडक्ट जोर पकड़ रहा है:
गलवान घाटी की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। वहां चीन के धोखेबाज़ सैनिकों ने हमारे वीर सिपाहियों को शहीद किया था। चालबाज चीन का एक और और घिनौना चेहरा हमारे सामने आया था। इसको लेकर पूरे देश में आक्रोश की स्थिति अब तक बनी हुई है। सब ने मिलकर एक ही बात कही बॉयकॉट चाइनीस प्रोडक्ट। जब भी दुकान पर कोई सामान लेने जाता है तो पहले यह चेक करता है कि कहीं यह चाइनीज तो नहीं है। इससे एक और लाभ हो रहा लाभ हो रहा है कि मेक इन इंडिया प्रोडक्ट को बढ़ावा मिल रहा है जिससे आत्मा निर्भर भारत का सपना साकार करने में सहयोग मिलेगा।