जाने इस बच्चे की कहानी: भक्ति भाव से होती है मंत्रो से नही, पुजारी आश्चर्यचकित
एक छोटा बच्चा था, बहुत ही नेक और बुद्धिमान एक दिन वो मंदिर में गया। मंदिर के अन्दर सभी भक्त भगवान के मंत्र बोल रहे थे। कुछ भक्त स्तुतिगान भी कर रहे थे। कुछ भक्त संस्कृत के काफी कठिन श्लोक भी बोल रहे थे।
बच्चा क ख ग घ मंत्र की जगह बोलने लगा
बच्चे ने कुछ देर यह सब देखा और उसके चहेरे पर उदासी छा गयी। क्योंकि उसे यह सब प्रार्थना और मंत्र बोलना आता नहीं था। कुछ देर वहाँ खड़ा रहा उसने अपनी आँखे बन्द की, अपने दोनों हाथ जोड़े और बार-बार “क-ख-ग-घ” बोलने लगा।
मंदिर के पुजारी की पूजा भी रटी-रटाई
मंदिर के पुजारी ने यह देखा उसने लड़के से पूछा कि “बेटे तुम यह क्या कर रहे हो, बच्चे ने कहा भगवान की पूजा”। पुजारी ने कहा की “बेटे भगवान से इस तरह से प्रार्थना नहीं की जा सकती, तुम तो क-ख-ग-घ बोल रहे हो।” पंडित पुजारी की कोई गलती भी नहीं क्योंकि उनकी तो पूजा भी रटी रटाई होती है। भाव का तो मिश्रण होता ही नहीं लेकिन बच्चा मासूम है, उसके पास शब्द तो थे नहीं सो भाव से क ख ग घ ही बोलने लगा।
सारे शब्द इसी क-ख-ग-घ से बनते हैं
लड़के ने उत्तर दिया की “मुझे प्रार्थना, मंत्र, भजन नहीं आते, मुझे सिर्फ क-ख-ग-घ ही आती है। मुझे मेरे पिताजी ने घर में पढ़ाते वक्त यह बताया था कि सारे शब्द इसी क-ख-ग-घ से बनते हैं इसलिये मेरे को इतना पता है प्रार्थना, मंत्र, भजन यह सब क-ख-ग-घ से ही बनते है। मैं दस बार क-ख-ग-घ बोल गया हूँ, और भगवान से प्रार्थना करी की हे भगवान मैं अभी छोटे से स्कूल में पड़ता हूँ मुझे अभी यही सिखाया है यह सब शब्द में से अपने लिए खुद प्रार्थना, मंत्र, भजन बना लेना। बच्चे की बात सुनकर पुजारी जी चुप हो गए। उनको अपनी भूल का एहसास हो गया ।
शब्दों का महत्व नहीं है भाव का महत्व है
मित्रों प्रार्थना हदय को साफ और निर्मल करती है। शब्दों का महत्व नहीं है भाव का महत्व है। शब्द तो हवा में तैरते रह जाते हैं मगर भाव पहुंच जाता है। दुनिया में सैकड़ों भाषाएं हैं लेकिन परमात्मा भाषा नहीं भाव जानता है।