जाने भोजपुरी सम्राट ‘गंगा के दंगा’ के नायक गोपाल से जुड़े दिलचस्प किस्से।

बलिया विशेष। भोजपुरी जगत के सबसे बड़े सम्मान ‘भोजपुरी रत्न’ और विशेष योगदान के लिए ‘लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड’ से सम्मानित,  अपने पिता के साथ शौकिया गायन शुरू करने वाले, हम बात कर रहे रहे हैं हिदुस्तान के सबसे बड़े भोजपुरी महोत्सव- गड़हा महोत्सव के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ अध्यक्ष श्री गोपाल राय जी के बारे में।

 बलिया जिला के सोहांव ब्लॉक खंड के बहुचर्चित गाँव भरौली में श्री शिवनारायण राय और श्रीमति अतरवासा देवी जी के घर 27 वें स्वतंत्रता दिवस के दिन 15 अगस्त, 1974 को जन्मे। अपने सभी चार भाइयों दूसरे स्थान पर जन्मे श्री राय का अपने बड़े भाई गड़हा महोत्सव के प्रणेता,  संस्थापक अध्यक्ष और बलिया की राजनीति में प्रमुख स्थान रखने वाले  स्व0 हरिशंकर राय जी का भरपूर आशीर्वाद और समर्थन मिला।

‘भजन सम्राट’ से अलंकृत श्री राय के नश-नश में गायिकी बचपन से ही थी। लेकिन इस सफऱ का रोपण पिता की सीख के साथ अध्ययन के समय 8वीं कक्षा के  विद्यालयी वार्षिकोत्सव में हुआ। लोगों से अच्छी प्रशंसा के साथ बीज का अंकुरण हुआ और इनके गाँव के ही गुरु श्री परशुराम प्रसाद केशरी जी के सिंचाई से गायिकी का पौधा सृजित होने लगा।

10वीं  कक्षा में गुरु के सानिध्य में पहली बार गोरखपुर आकाशवाणी के रूप में मंच मिला। पढ़ाई के साथ-साथ 5 सालों तक इसी तरीके से तपस्या करते रहे। कभी भी इसे करियर के रूप में न सोचने वाले ‘भोजपुरी गौरव सम्मान’ से सम्मानित श्री राय ने संगीत से स्नातक के बाद प्रयागराज से संगीत विशारद भी किये। रेडिओ से आकाशवाणी के यूपी ए ग्रेड के गायक और कवि मोहम्मद कबीर का खासा प्रभाव इनके गायिकी पर पड़ा। भोजपुरी को 8वीं  अनुसूची में शामिल कराने के लिए अग्रिम पंक्ति के  ध्वजवाहक और अखिल भोजपुरी विकास मंच के संस्थापक श्री राय जब भोजपुरी पुरोधा श्री भरत शर्मा’व्यास’ के संपर्क में आये तो गायिकी का पौधा अब फल देने की तैयारी में था क्योंकि इनके सहयोग और टी सीरीज के सानिध्य में 1997 में रिलीज  पहला एल्बम “हमके ओढावे चदरिया” चारों तरफ धूम मचा दी थी। बस यहीं से शुरू हुआ गायिकी का शुद्ध रूप से सफर। “पूर्वांचल गौरव सम्मान” से सम्मानित श्री राय ने बातचीत में बताया कि कृषक वर्गीय परिवार होने के बावजूद इनके परिवार और बड़े भाई का भरपूर साथ मिला।

आज भी अपने बड़े भाई की कमी महसूस करते हैं। इनके अनुसार संघर्ष का मतलब सिखने का समय होता है, यह जितना लम्बा होता है उतना बेहतर होता है। पहले एल्बम की धूम के बाद “जल्दी छुटी ले के आवा,  करिहइया ए गोरी हिलोर मारे समेत 1000 से भी अधिक गीतों को अपना स्वर दे चुके ये भोजपुरी में अश्लीलता के धुर विरोधी हैं। इनके दो छोटे भाई राम जी और लक्ष्मण जी भी हैं। ‘भोलानाथ गहमरी सम्मान से सम्मानित श्री राय ने दो भोजपुरी फिल्मों “मेरा पिया घर आया और गंगा के दंगा” में बतौर नायक भी काम किए लेकिन फूहड़ता के कारण और फिल्मों में काम करने से मना कर दिए।

श्री राय के दो पुत्र अभिषेक,  कार्तिक और एक पुत्री भी हैं। इनके बड़े भाई के स्वर्गवास के बाद गड़हा विकास मंच और अखिल भारतीय भोजपुरी विकास मंच की बागडोर बड़े भाई के पुत्र चंद्रमणि राय को सौंप कर इस मंच को और ऊंचाई दे रहे हैं। “भिखारी ठाकुर सम्मान, महेन्द्र मिश्र सम्मान समेत सैकड़ो सम्मान से नवाजे गए श्री राय का एक ही संकल्प है – भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल कराना। इस समय इनका नया गीत “आज भगवा लाल हो गइल और धरती के वीर अभिनन्दन” खुब धूम मचा रही है।

संकलन : संजीव राय

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