जय श्रीराम के उद्धघोष के साथ भूमि पूजन संपन्न जानिए पीएम मोदी ने क्या कहा
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या राम मंदिर में भूमिपूजन में शमिल हो भूमिपूजन का कार्य संपन्न कराया। इस घड़ी को पूरे देश की प्रतीक्षा थी। करीब 492 साल के इंतजार के बाद आज अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर की नीव रखी गयी। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बरसों से टाट और टेंट के नीचे बिराजमान रामलला के लिए एक भव्य मंदिर का निर्माण होने जा रहा है इस व्यक्तिक्रम से रामजन्मभूमि आज मुक्त हुई है।
पीएम मोदी ने कहा कि राम हमारे मन में गढ़े हुए है हममे घुल-मिल गये है कोई भी कार्य करना हो तो हम भगवान श्री राम की तरफ देखते है आप भगवान राम की अदभुत शक्ति देखिये। इमारते नश्ट कर दी गयी अस्तित्व मिटाने का प्रयास भी बहुत हुआ लेकिन राम आज भी हमारे मन में बसे है।
हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के समय कई पीढ़ियों ने अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। गुलामी के कालखंड में कोई ऐसा समय नहीं था जब आजादी के लिए आंदोलन न चला होए देश का कोई भूभाग ऐसा नहीं था जहां आजादी के लिए बलिदान न दिया गया हो। 15 अगस्त का दिन उस अथाह तप का लाखों बलिदानों का प्रतीक है स्वतंत्रता की उस उत्कंठ इच्छाए उस भावना का प्रतीक है।
पीएम मोदी ने कहा कि भारत आज भगवान भास्कर के सानिध्य में सरयू के किनारे एक स्वर्णिम अध्याय रच रहा है। कन्याकुमारी से क्षीरभवानी तक कोटेश्वर से कामाख्या तकए जगन्नाथ से केदारनाथ तकए सोमनाथ से काशी विश्वनाथ तकए सम्मेद शिखर से श्रवण बेलगोला तक बोधगया से सारनाथ तक अमृतसर से पटना साहिब तक अंडमान से अजमेर तक लक्ष्यद्वीप से लेह तक आज पूरा भारत राम मय है।
पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना से बनी स्थितियों के कारण भूमिपूजन का ये कार्यक्रम अनेक मर्यादाओं के बीच हो रहा है। श्रीराम के काम में मर्यादा का जैसा उदाहरण प्रस्तुत किया जाना चाहिएए देश ने वैसा ही उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि देश भर के धामों और मंदिरों से लाई गई मिट्टी और नदियों का जलए वहां के लोगों वहां की संस्कृति और वहां की भावनाएं आज यहां की शक्ति बन गई हैं।
पत्थरों पर श्रीराम लिखकर रामसेतु बनाया गया वैसे ही घर-घर से गांव-गांव से श्रद्धापूर्वक पूजी शिलाएं यहां ऊर्जा का स्रोत बन गई हैं। श्रीरामचंद्र को तेज में सूर्य के समान क्षमा में पृथ्वी के तुल्य बुद्धि में बृहस्पति के सदृश्य और यश में इंद्र के समान माना गया है। श्रीराम का चरित्र सबसे अधिक जिस केंद्र बिंदु पर घूमता है वो है सत्य पर अडिग रहना। इसीलिए ही श्रीराम संपूर्ण हैं।