भाद्रपद कृष्ण पक्ष की जया एकादशी, इसको पढ़ने और सुनने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है
मित्रों 10 सितम्बर दिन रविवार को जया एकादशी है। धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्री कृष्ण ने कहा हे राजन एक चित्त होकर सुनो। भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम जया है। वह सब पापों का नाश करने वाली बताई गई है ।जो भगवान हृषीकेश का पूजन करके इसका व्रत करता है उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।
पूर्व काल में हरिश्चंद्र नाम के विख्यात चक्रवर्ती राजा हुए हैं जो समस्त भूमंडल के स्वामी और सत्य प्रतिज्ञ थे। एक समय किसी कर्म का फलभुक्त प्राप्त होने पर राज्य से भ्रष्ट होना पड़ा। राजा ने अपनी पत्नी और पुत्र को बेंचा फिर अपने को बेंच दिया। पुण्यात्मा होते हुए भी उन्हें चांडाल की दासता करनी पड़ी।वह मुर्दों का कफन लिया करते थे।
इतने पर भी नृपश्रेष्ठ हरिश्चंद्र सत्य से विचलित नहीं हुए ।इस प्रकार चांडाल की दासता करते उनके अनेक वर्ष व्यतीत हो गए ।उससे राजा को बड़ी चिंता हुई, अत्यंत दुखी होकर सोचने लगे क्या करूं कहां जाऊं राजा को आतुर देख कोई मुनि उनके पास आए, वे महर्षि गौतम थे।
श्रेष्ठ ब्राह्मण को आया देख राजा ने उनके चरणों में प्रणाम किए। दोनों हाथ जोड़कर गौतम मुनि के सामने खड़े होकर अपना सारा दुख :मय समाचार सुनाया ।
राजा की बात सुनकर गौतम मुनि ने कहा राजन भादों के कृष्ण पक्ष में अत्यंत कल्याणमई जया नाम की एकादशी आ रही है, जो पुण्य प्रदान करने वाली है।इसका व्रत करो इससे पाप का अंत होगा। तुम्हारे भाग्य से आज के सातवें दिन एकादशी है।
उस दिन उपवास करके रात में जागरण करना।ऐसा कहकर महर्षि गौतम अंतर्ध्यान हो गए। उनकी बात सुनकर राजा हरिश्चंद्र ने उसका अनुष्ठान किया ।उसके प्रभाव से राजा के सारे दुख: दूर हो गए।उन्हें पत्नी का संनिधान और पुत्र का जीवन मिल गया। आकाश से पुष्प वर्षा होने लगी। एकादशी के प्रभाव से राजा ने राज्य किया, और अंत में वह पुरजन तथा परिजनों के साथ स्वर्ग लोक को प्राप्त हुए।
हे राजा युधिष्ठिर जो मनुष्य एकादशी को व्रत करते हैं वह सब पापों से मुक्त हो मेरे धाम में जाते हैं ।इसको पढ़ने और सुनने से अश्वमेघ यज्ञ का फल मिलता है ।
ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास कृपा पात्र श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी ।
रामानुज आश्रम, संत रामानुज मार्ग, शिव जी पुरम प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश
नोट:- पारणा 11 सितम्बर को प्रातः 8:12 तक