जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष होना चाहिए:- धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

डॉक्टर इंजीनियर पायलट वकील वैज्ञानिक आदि बनना अच्छा है। परंतु साथ ही साथ यह भी समझना चाहिए कि “यह जीवन का अंतिम लक्ष्य अथवा मुख्य लक्ष्य नहीं है।” “अंतिम लक्ष्य अथवा मुख्य लक्ष्य उसे कहते हैं, जिसे प्राप्त करके फिर आगे कोई काम बाकी न बचे, सारा काम पूरा हो जाए, उसी का नाम अंतिम या मुख्य लक्ष्य है।”


डॉक्टर इंजीनियर पायलट वकील वैज्ञानिक आदि बनने के बाद भी काम पूरा नहीं होता। उसके बाद भी काम बच जाता है। क्या काम बच जाता है। यह बच जाता है, कि “व्यक्ति चाहता है मेरे सारे दुख दूर हो जाएं। सदा के लिए दूर हो जाएं। और मैं सदा आनंद में रहूं। पूर्ण आनंद में रहूं।” “परंतु डॉक्टर इंजीनियर पायलट वकील आदि बनने पर भी उसके सारे दुख दूर नहीं हो पाते। सदा के लिए दूर नहीं हो पाते। केवल इस जीवन के ही कुछ दुख दूर हो पाते हैं। सारे दुख भी दूर नहीं होते। तथा डॉक्टर आदि बनने पर भी पूर्ण आनंद की प्राप्ति नहीं हो पाती। भोगों को भोगने से पूरी तृप्ति नहीं हो पाती।” “और इस जन्म के पूरा हो जाने पर फिर उसके बाद अगला जन्म लेना पड़ता है। अगले जन्म में फिर वही दुख आरंभ हो जाते हैं, जो इस जीवन में चल रहे हैं। इसलिए डॉक्टर इंजीनियर पायलट वकील आदि बनना जीवन का अंतिम लक्ष्य नहीं है।”
फिर जीवन का अंतिम लक्ष्य कौन सा है? इसका उत्तर है, “मोक्ष प्राप्त करना.” “मोक्ष प्राप्त करके आत्मा सारे दुखों से सदा के लिए छूट जाता है, और पूर्ण आनंद की प्राप्ति भी कर लेता है। उसके बाद फिर कोई काम बाकी नहीं रहता।”
सदा के लिए दुखों से छूटने का तात्पर्य है, कि “बहुत लंबे समय तक के लिए दुखों से छूटना.” “क्योंकि मोक्ष भी कर्मों का फल है, और सीमित कर्मों का फल है। इसलिए मोक्ष के समय की भी सीमा है। सीमित कर्मों से अनंत काल तक फल नहीं मिल सकता। ऐसा करना तो अन्याय होगा। परंतु ईश्वर न्यायकारी है। इसलिए वह अनंत काल के लिए आत्मा को मोक्ष नहीं देता।”
फिर भी मोक्ष का समय बहुत लंबा है। हमारे आपके लिए तो इतना भी अनंत काल जैसा ही है। कितना समय है मोक्ष का? उत्तर — “वेदों और ऋषियों के अनुसार मोक्ष का समय है, 31 नील 10 खरब और 40 अरब वर्ष।” इतना समय तो कम नहीं पड़ेगा! इतने समय तक मोक्ष में रहकर हम ईश्वर के पूर्ण आनंद को भोगेंगे, और सारे दुखों से भी छूट जाएंगे।” ऊपर बताए समय के बाद वहां से भी वापस परिवर्तन की इच्छा होगी, अर्थात मोक्ष आनंद से भी तृप्त होकर फिर से संसार में आने की इच्छा होगी। “क्योंकि आत्मा अल्पशक्तिमान है, अनंत शक्तिमान नहीं है। वह सदा एक जैसी स्थिति में नहीं रह सकता। मोक्ष का समय पूरा होने पर, उसे फिर परिवर्तन करने की इच्छा होती है। इसलिए तब हम वहां से संसार में लौट आएंगे।”
जिस जिसको इतने लंबे समय तक मोक्ष का आनंद चाहिए और सब दुखों से छूटने की इच्छा हो, तो “वह डॉक्टर इंजीनियर वकील पायलट आदि बनकर सारा परीक्षण कर ले, कि क्या ऐसा बनकर सारे दुख दूर हो जाते हैं, पूर्ण आनन्द की प्राप्ति हो जाती है? और यदि नहीं होती, तो वह भी मोक्ष के लिए प्रयत्न करे।”
“मोक्ष लक्ष्य को छोड़कर डॉक्टर इंजीनियर पायलट आदि बनना तो टाइम पास करने जैसा काम है। जैसे रेलगाड़ी लेट होने पर, लोग वेटिंग रूम में बैठकर मोबाइल फोन द्वारा टाइम पास करते हैं।”
“जब तक लोगों को मोक्ष समझ में नहीं आएगा, तब तक लोग डॉक्टर इंजीनियर पायलट वकील आदि बनकर अपना टाइम पास करते रहेंगे।”
साभार स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

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