जीवन में क्षमा आत्मसात करने पर ही जीवन में आनंद की अनुभूति : आचार्यश्री
ललितपुर न्यूज : जैन धर्मालओं ने सुबह मंदिरों में पहुंचकर दर्शन किए और मंदिरों में विराजमान साधूसंतो का आर्शीवाद ग्रहण किया। श्रावकों ने करोना महामारी के प्रकोप के चलते सोशल डिस्टेंश के मध्य घरों में रहकर व्रत नियम के साथ आज उत्तम क्षमा धर्म की पूजन कर आत्मशुद्धि का महापर्व पर्यूषण मनाया। क्षेत्रपाल मंदिर परिसर में विराजमान आचार्यश्री आर्जव सागर महाराज एवं संघस्थ साधुओं के सानिध्य में तत्वार्थ सूत्र का वाचन नरेन्द्र शास्त्री एवं सुनील शास्त्री ने किया जवकि अर्घ समर्पण रामप्रकाश संजीव जैन द्वारा किए गए।
जैन पंचायत अध्यक्ष ने आचार्य श्री को श्रीफल अर्पित कर आर्शीवाद लिया। इस मौके पर आचार्य श्री ने क्षमा धर्म को श्रेष्ठ बताते हुए कहा क्रोध पर आपके जीवन में नियंत्रण होना चाहिए। सहनशीलता समता धैर्य और क्षमा का श्रेष्ठ गुण आपके जीवन में आना ही श्रेयस्कर है। परिस्थियों पर विचार कर उन्हें टालना तथा स्वयं संभलना चाहिए यही जीवन को पवित्र पावन बनाने का मूलमंत्र है।
आचार्यश्री ने कहा जीवन में क्षमा को आत्मसात करके अपने जीवन को निरापद निष्कंटक और आनंदमय बना सकते हैं। पर्यूषण पर्व पर की महत्ता को बताते हुए कहा इस पर्व पर हम सभी साधना करते हुए चिन्तन मनन करते हैं कि महामुनीश्वर अपने जीवन में कैसे इन धर्मो का पालन कर अपने जीवन को मंगलमय बनाते हुए अपने कर्मो की निर्जरा के माध्यम से मुक्ति को प्राप्त करते हैं।
धर्म की आराधना को संसार में श्रेष्ठ बताते हुए उन्होने कहा इसी से व्यक्ति का जीवन सुखी और समृद्ध होता है। मध्यान्ह में आचार्य ने संघस्थ मुनि मुनि महान सागर,मुनि भाग्य सागर, मुनि महत्त सागर,मुनि विलोक सागर जी, मुनि श्री विवोध सागर जी,मुनि विदित सागर, मुनि विभोर सागर महाराज को तत्वार्थ सूत्र का अर्थसहित वाचन कर अध्यायों की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि तत्वार्थ सूत्र के एक अध्याय के श्रमण से एक उपवास का फल मिलता है। जोकि सातिशय पुण्य का कारण बनता है।
रिपोर्ट : राहुल साहू