काला चना: मुनाफे की खेती, प्रोटीन से भी भरपूर
देश के युवा अब खेती में भी नित नये-नये प्रयोग कर रहे हैं, ताकि खेती में भी भरपूर मुनाफा कमाया जा सके। नतीजतन उन्हे न सिर्फ आर्थिक मजबूती मिल रही है बल्कि देशभर मे एक अलग पहचान बनाने मे भी कामयाब हो रहे हैं।
विनोद चौहान भी उन्हीं युवा और प्रोग्रेसिव फार्मर में से एक है, जिन्होंने अपनी एक अलग पहचान कायम की है। वे मध्यप्रदेश के धार जिले के सिरसौदा गाँव से हैं। विनोद ने परम्परागत चने की खेती से हटकर उन्नत किस्म के उच्च प्रोटीनयुक्त दुर्लभ काले चने की खेती को लेकर नया प्रयोग किया है। वैसे यह पहला मौका है जब धार जिले में काले चने की खेती की जा रही है। तो आइये जानते हैं विनोद से काले चने की खेती का तरीका एवं उसके फायदे।
विनोद चौहान का कहना है काले चने की यह एमपीके-179 ( MPK-179) किस्म है, जिसे महाराष्ट्र के महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ ने विकसित की है। इस किस्म की खेती के लिए मध्य प्रदेश के अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा तथा छत्तीसगढ़ आदि राज्यों की जलवायु अनुकूल है। उन्होंने बताया कि उन्होंने इस बार लगभग 15 बीघा में काला चना उगाया है जिसमें लगभग ढाई क्विंटल बीज लगा है। काले चने की सफल खेती के लिए विनोद समय-समय पर कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिक जी.एस. गाठिए से मार्गदर्शन लेते रहते हैं।
काले चने की विशेषताएं
सामान्य चने की तुलना में काले चने में उच्च मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है जिसके कारण यह जिम में मेहनत करने वालों के लिए उत्तम आहार है ताकि वह परफेक्ट बॉडी शेप पा सकें। इसके अलावा इसमें फायबर, फोलेट्स, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स, कॉपर और फास्फोरस जैसे तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। साथ ही यह फायटो न्यूट्रिएंट्स, एंटी आक्सीडेंट, एएलए और एन्थोसायनीन का अच्छा स्त्रोत होता है। इसके सेवन से विटामिन-ए, बी, सी, डी, फास्फोरस, पोटेशियम, मैग्नीशियम और क्लोरोफिल की आसानी से पूर्ति की जा सकती है। काला चना अपने विशिष्ठ पोषक तत्वों की वजह से हार्ट स्ट्रोक, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, कब्ज जैसी बीमारियों में फायदेमंद है। यह बाल, त्वचा के लिए उपयोगी होने के साथ ही डिप्रेशन को भी कम करता है।
काले चने की खेती और पैदावार
काले चने की खेती भी सामान्य चने की खेती की तरह ही होती है। इसके लिए प्रति एकड़ 30 किलो बीज की आवश्यकता होती है। मिट्टी और जलवायु के हिसाब से इसमें एक या दो सिंचाई की आवश्यकता होती है। चने की यह किस्म 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है। एक एकड़ से 10-12 क्विंटल की पैदावार होती है। विनोद का कहना हैं कि वर्तमान में काले चने की उपलब्धता न के बराबर होने से इसकी अच्छी खासी मांग रहने की संभावना है।
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