किसानों की चिंताओं के हुए समाधान, फसलों की MSP पर मिल रहा बढ़िया भुगतान
किसान बिना निजी स्वार्थ के देश का पेट भरने का काम करता है। लंबे समय तक देश का यह बड़ा वर्ग अपनी फसलों का उचित दाम न प्राप्त होने के कारण ठगा जाता रहा है। यही कारण है कि देश का किसान वर्ग गरीबी से उबर नहीं पाया। इनमें सबसे बुरी हालत तो छोटे किसानों की होती थी। इन्होंने ऐसे दिन तक देखें हैं जिसमें कई किसान मजबूरी में अपनी फसल को कोड़ियों के दाम पर बेचने को मजबूर हो जाते थे तो कई किसान इस दर्द में खेत में तैयार खड़ी अपनी फसल को आग लगा देते थे।
भारतीय किसानों की विकसित देशों में किसानों के लिए उपलब्ध आधुनिक सुविधाओं तक पहुंच होनी चाहिए, जिसमें अब ज्यादा देरी नहीं की जा सकती है। तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत में मौजूदा हालात को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि सुविधाओं और आधुनिक विधियों की कमी के कारण किसान असहाय हो जाते है, जिसमें पहले ही काफी विलंब हो चुका है। लेकिन पिछले 6-7 साल में किसानों की हालत में काफी सुधार आया है।
वर्तमान में केंद्र सरकार किसानों के इस दर्द को समझते हुए उन्हें उनकी फसल का उचित समर्थन मूल्य प्रदान कर रही है। इस प्रकार पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र सरकार के प्रयासों से अब जाकर देश के अन्नदाता के जीवन में बड़ा सुधार देखने को मिल रहा है। बता दें, देश का लगभग 54.6 प्रतिशत कार्यबल कृषि कार्य और संबद्ध क्षेत्र की गतिविधियों में संलग्न है। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह वर्ग देश की जनसंख्या का कितना बड़ा भाग है।
देशभर में गेहूं और धान की MSP पर खरीद जारी
गौरतलब हो, केंद्र सरकार द्वारा देशभर में गेहूं और धान की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद जारी है। इससे देश में अभी तक 1,47,055.95 करोड़ रुपए के न्यूनतम समर्थन मूल्य के साथ 108.01 लाख किसानों को खरीफ विपणन सत्र 2021-22 में लाभ प्राप्त हो चुका है।
खरीफ मार्केटिंग सीजन 2021-22 में 1 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ
खरीफ मार्केटिंग सीजन 2021-22 में 1 करोड़ से अधिक किसानों को 147 लाख करोड़ से अधिक का MSP भुगतान किया जा चुका है। किसानों के खातों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पहुंचने से घर-घर में खुशहाली है।
रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में 35 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद (3 अप्रैल 2022 तक)
रबी विपणन सत्र 2022-23 के लिए गेहूं की खरीद हाल ही में मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में शुरू हुई है। 03.04.2022 तक 34,917 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है, जिससे 3,510 किसानों को 70.36 करोड़ रुपए के न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त हुआ है। आसान शब्दों में समझें तो कुल 3,510 किसान MSP से लाभान्वित हुए हैं और 7 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा किसानों को MSP का भुगतान किया गया है।
खरीफ मार्केटिंग सीजन 2021-22 में 7.5 करोड़ मीट्रिक टन धान की खरीद
वहीं खरीफ विपणन सत्र 2021-22 में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद सुचारू रूप से की जा रही है। खरीफ विपणन सत्र 2021-22 में 03.04.2022 तक राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 750.29 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद की जा चुकी है।
147 लाख करोड़ से ज्यादा किसानों को MSP का भुगतान
अब तक लगभग 108.01 लाख किसान 1,47,055.95 करोड़ रुपये के न्यूनतम समर्थन मूल्य से लाभान्वित हो चुके हैं। यानि MSP से लाभान्वित किसानों की संख्या 1 करोड़ से भी ज्यादा है जिन्हें 147 लाख करोड़ अधिक का MSP का भुगतान किया गया है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारत की कृषि मूल्य नीति का ही एक अहम हिस्सा है। यह वह मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से फसलों को खरीदती है। फसलों के लिए सरकार द्वारा तय की गई कोई भी कीमत हो सकती है, जो किसानों को और अधिक उत्पादन के लिए बढ़ावा देती है और इस प्रकार देश में पर्याप्त खाद्यान्न उत्पादन सुनिश्चित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, एमएसपी किसानों को पर्याप्त पारिश्रमिक प्रदान करने में सहायता करता है। इसके अलावा यह बफर स्टॉक को खाद्यान्न आपूर्ति प्रदान करता है और पीडीएस और अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम का समर्थन करता है।
क्या हैं इसके फायदे ?
इससे किसानों को फसलों के वाजिब दाम मिलने की उम्मीद रहती है। साथ ही सार्वजनिक वितरण प्रणाली के द्वारा उपभोक्ताओं को पर्याप्त मात्रा में अनाज भी मिल जाता है, क्योंकि सरकार MSP पर बड़ी मात्रा में अनाज की खरीद करती है। इससे किसानों में एक तरह से वाजिब कीमत मिलने का भरोसा पैदा होता है और इसीलिए वे विविध तरह की फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित होते रहते हैं।