लोकसभा में अखिलेश ने शायरी से बांधा समां: कहा “न मेरा है न तेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है, नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है’’

अखिलेश यादव फ़ाइल फ़ोटो

लोकसभा में शुक्रवार को संविधान पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी बात रखते हुए एक गजल पढ़ी, जिसने सदन में महफिल लूट ली। उन्होंने केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर सीधा हमला बोला। अखिलेश ने धर्मनिरपेक्षता, आरक्षण, जातीय जनगणना, नौकरियों और बुलडोजर राजनीति पर सवाल खड़े किए। उन्होंने मंदिर-मस्जिद विवाद को लेकर सरकार की नीतियों पर भी तीखी टिप्पणी की और इसे धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने को तोड़ने का प्रयास बताया।

गजल की पंक्तियां, “न मेरा है न तेरा है, ये हिन्दुस्तान सबका है, नहीं समझी गई ये बात तो नुकसान सबका है,” ने सदन में सभी का ध्यान खींचा। अखिलेश ने इस गजल के माध्यम से यह संदेश देने का प्रयास किया कि भारत सभी का है, और इसे विभाजित करने का प्रयास देश को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि देश की विविधता में एकता को बनाए रखना जरूरी है, और इसमें हर व्यक्ति का योगदान अहम है।

इस गजल के लेखक मशहूर कवि, गजलकार और समाजवादी नेता उदय प्रताप सिंह हैं। मैनपुरी जिले में 1932 में जन्मे उदय प्रताप सिंह ने सैकड़ों रचनाएं लिखीं, लेकिन यह गजल उनकी सबसे चर्चित कृतियों में से एक है। अखिलेश यादव ने गजल के माध्यम से नदियों, महासागर, रंग-बिरंगे फूलों और उपवन की इज्जत को हिंदुस्तान की विविधता और अखंडता का प्रतीक बताया।

अखिलेश ने कहा कि हजारों रास्ते भगवान तक पहुंचने के लिए खोजे गए, लेकिन अंत में सभी ने स्वीकार किया कि भगवान सबका है। उनकी इस बात ने सदन में एक गहरा प्रभाव छोड़ा।

गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब अखिलेश यादव ने शायरी के माध्यम से अपनी बात रखी हो। इससे पहले भी संभल हिंसा पर सपा प्रमुख और मुरादाबाद मंडल के पुलिस कमिश्नर आञ्जनेय कुमार सिंह के बीच शायरी वॉर चर्चा में रहा था। उस वक्त अखिलेश ने लिखा था, “झूठ को सच की मीठी चाशनी में लपेटकर खिलानेवाले आइने में कितना शर्मिंदा होंगे अपना फर्ज न निभानेवाले।”

अखिलेश यादव की गजल और उनकी शैली ने एक बार फिर यह साबित किया कि साहित्य और राजनीति के मेल से जनता तक गहरे संदेश पहुंचाए जा सकते हैं।

 

 

 

 

साभार क्लिक इंडिया

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