एक मुहिम ऐसी भी: विवाह को यादगार बनाने के लिए मैती आंदोलन
देश में कई आंदोलन हुए जिनके बारे में आपने सुना होगा, लेकिन क्या मैती आंदोलन के बारे में सुना है। उत्तराखंड राज्य में चलाए जा रहे इस आंदोलन का संबंध पर्यावरण संरक्षण से है, जहां नव दंपति अपने विवाह को यादगार बनाने के लिए पौधारोपण का काम करते हैं।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच लगाया जाता है पेड़
एक ऐसा आंदोलन जिसमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में पूरी दुनिया में छाप छोड़ चुका है। पर्यावरण और प्रकृति को भावनात्मक रूप से जोड़ने के इस मुहिम में महिलाओं का विशेष योगदान होता है। इस आंदोलन में वैवाहिक जोड़ा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच पेड़ लगाकर उसे अपना मैती बनाते हैं। उस पेड़ की देखरेख उसके मैती यानि मायके वाले करते हैं।
मैती आंदोलन में छुपा है भावनात्मक रिश्ता
इस आंदोलन के जनक कल्याण सिंह रावत का कहना है कि जब लोग भावनात्मक रूप से वृक्षारोपण से जुड़ेंगे तो खुद ही उन वृक्षों की सुरक्षा भी करेंगे। इस पहल से जहां एक तरफ पर्यावरण को संरक्षण मिलेगा, वहीं रिश्तों में भी नयापन का एहसास होता रहेगा।
कल्याण सिंह रावत कहते हैं कि मैती आंदोलन में कई भाव भरे गए हैं, जिसकी वजह से लोग उसे आत्मसात कर रहे हैं। अब तक लगभग 7 लाख से अधिक शादियों में पेड़ लग चुके हैं। ये एक ऐसा भावनात्मक आंदोलन है, जिसमें एक बार पेड़ लग जाए तो हमेशा जिंदा रहेगा क्योंकि मां अपनी बेटी के पेड़ को जरूर जिंदा रखेगी।
1994 में चमोली जिले से हुई शुरुआत
इस मुहिम से महिलाएं जुड़ कर काफी खुश हैं और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में इसे बहुत ही महत्वपूर्ण बता रही हैं। दरअसल मैती आंदोलन की शुरुआत 1994 में उत्तराखंड के चमोली जिले से हुई थी। आज ये आंदोलन सिर्फ एक आंदोलन ही नहीं रह गया है जब कि एक भावनात्मक लगाव के रूप में देश और विदेश में प्रसिद्ध है।
मैती शब्द का अर्थ
उत्तराखंड में मैत शब्द का अर्थ मायका होता है और मैती शब्द का अर्थ मायके वालों से होता है। अब इस मुहिम के तहत जब बेटी की शादी होती है तो विदाई के वक्त उन्हें एक पौधा दिया जाता है। नव विवाहित जोड़े के द्वारा पौधे का रोपण और सींचने का काम किया जाता है। उम्मीद है कि इस तरह के आंदोलन प्रकृति को बचाने की दिशा में सभी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत साबित होगा।