110 फीट गहरे कुँएं में गिरा मेमना , सरयाँ के लोगों ने बचाई जान : मानवता ही सबसे बड़ा धर्म
जाको राखे साइयां , मार सके न कोय । यह दोहा बलिया के सोहाव ब्लाक खंड के सरयाँ (उजियार घाट ) के हनुमान गढ़ी मोहल्ले में लगभग ११० फीट गहरे कुंए में गिरी मेमने पर सटीक बैठती है ।
गहरे कुंए में गिरी मेमना
कई वर्षों से सूखे पड़े कुंए के आस- पास जमी हरी घांसो को देखकर मेमना चरने के लिए लालायित होकर कुंए के पास चली गई और घास चरते- चरते इतनी मगन हो गयी कि उसे कुंए का जगह दिखा ही नही। जैसे ही जगह पर जमी घास चरने की कोशिश की, फिसल कर कुंए में गिर गयी और जोर -जोर की आवाजों में मिमियाने लगी जिसे सुनकर हनुमान मंदिर के पास के मोहल्ले वाले इकट्ठे हो गए।
कैसे बचाई मेमने की जान: वीडियो हो रहा वायरल
घटना के लगभग १ घंटे के बीच में मेमना कभी आवाज कर रही थी तो कभी चुप रह रही थी तो लोगों को यह आशंका हो जा रही थी कि लगता है मेमना मर गयी या जिन्दा है। अँधेरे से भरे कुंए में कोई भी नीचे उतरने का साहस नही जूटा पा रहा था, लेकिन सब ये सोच रहे थे कि किसी भी प्रकार से मेमने की जान बचा ली जाय। कहा जात है न कि ” जाको राखे साइयां, मार सके न कोय” तभी तो इसी भीड़ से एक व्यक्ति ने कहा कि मैं कुएं में उतरूंगा तब लोगो में हलचल मच गयी और फटाफट डोर(रस्सी) और खांची(बांस का बड़ा टोकरा) ले आये और फिर लग गए जान बचाओ अभियान में।
मानवता ही सबसे बड़ा धर्म
एक व्यक्ति ने खांची और डोर के साथ कुंए में उतरना शुरू किया तो लोगों ने भी उसका खूब साहस बढाया और सलाह भी देते रहे। फिर गहरे कुंए में पहुच कर आश्वस्त किया कि मेमना जिन्दा है तब जाके लोगो के जान में जान आई | फिर मेमने को खांची में बिठा कर और बांध कर खिंचा गया उसके बाद उस हिम्मत वाले इंसान की भी बहादुरी का कोई जबाबनही जिसने इस बेजुबान मेमने की जान बचाकर यह सिद्ध कर दिया कि ” मानवता ही सबसे बड़ा धर्म है|”