शुकदेव जी ना होते तो शायद आज हमें मुक्ति का रास्ता ना मिलता:– धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम में श्रीमद्भागवत के प्रस्तोता कृष्णद्वैपायन के पुत्र परम पूज्य शुकदेव जी का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया।
प्रातः काल देवप्रयाग से आए हुए गंगाजल से भगवान शालिग्राम तथा आपका एवं श्रीमद्भागवत का अभिषेक हुआ। पूजन अर्चन करने के पश्चात धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि जीवों के कल्याण के लिए कलयुग के आगमन के पश्चात राजा परीक्षित को गंगा के पावन तट पर शुकताल में अनेक मुनियों ऋषियों संतों की उपस्थिति में आपने राजा परीक्षित को मुक्ति प्रदान करने हेतु श्रीमद्भागवत कथा श्रवण कराया था।जो भगवान श्री कृष्ण का वांग्मय स्वरूप है। आज सनातन धर्म को मानने वाले लोग पितरों की मुक्ति हेतु गया जगन्नाथ पुरी एवं श्री बद्री विशाल में ब्रह्म कपाल पर पिंडदान करके श्रीमद्भागवत भागवत कथा श्रवण करते हैं।
श्रीमद्भागवत भक्ति मुक्ति का रास्ता दिखाता है। देवताओं में अच्युत कृष्ण वैष्णवों में शंकर बहने वाले जल में गंगा क्षेत्रों में काशी पुराणों में श्रीमद्भागवत महापुराण श्रेष्ठ है। श्रीमद्भागवत पुराणों का तिलक है। वैष्णव जन का परम धन है। परमहंसों की संहिता है। भक्ति ज्ञान वैराग्य का की इसमें त्रिवेणी बहती है। ऐसी भागवत रूपी त्रिवेणी का अवगाहन करने से गोविंद की प्राप्ति होती है। जो हमें शुकदेव देव मुनि के द्वारा प्राप्त हुई है। शुकदेव जी ना होते तो शायद आज हमें मुक्ति का रास्ता ना मिलता।