नारद जी इस संसार के प्रथम पत्रकार हैं:– धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

प्रतापगढ़ सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा देवर्षि नारद की जयंती ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की द्वतीया को मोक्षदा ताल पर मनाई गई।इस अवसर पर धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा यह मोक्षदा ताल त्रेता युग से है। आज देवर्षि नारद का जन्मोत्सव है।ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार नारद जी का जन्म ब्रह्मा जी के कंठ से हुआ था। श्रीमद्भागवत के अनुसार नारद जी स्वयं कहते हैं पूर्व काल में मैं एक दासी पुत्र था।
मेरे पिता की मृत्यु हो चुकी थी एक बार मेरे गांव में चातुर्मास बिताने के लिए संत लोग पधारे मेरी मां उन संतों के बर्तन को धोया करती थी और मैं संतो के जूठन को खाता था। एक दिन मेरी मां को एक सर्प ने काट लिया और उसकी मृत्यु हो गई। मैं अनाथ हो गया संतो के संग हो लिया और संतों की कृपा से मैं इस स्वरूप में हूं।


आप एक त्रिकालदर्शी वेदांत प्रिय, योगनिष्ठ, संगीत शास्त्री, औषधि ज्ञाता, शास्त्रों के आचार्य और भक्ति रस के प्रमुख ज्ञानी माने जाते हैं।श्रुति स्मृति, इतिहास, पुराण, व्याकरण, वेदांग, संगीत, खगोल, भूगोल, ज्योतिष और योग जैसे कई शास्त्रों का प्रकांड विद्वान भी आपको माना जाता है।
नारद जी के विश्व में मुख्य रूप से महर्षि वाल्मीकि महर्षि व्यास महाज्ञानी शुकदेव जी तथा ध्रुव महराज अंबरीष और प्रहलाद शिष्य थे। एक कथानक के अनुसार दक्ष प्रजापति के 10000 पुत्रों को नारद जी ने संसार से निवृत की शिक्षा दिया। ब्रह्माजी उन्हें सृष्टि मार्ग पर अरूढ करना चाहते थे ब्रह्माजी ने नारदजी को श्राप दे दिया इस श्राप से नारदजी गंधमादन पर्वत पर उपबर्हण नाम के गंधर्व के रूप में तपस्या करने लगे। एक ऐसी भी मान्यता है कि पूर्व काल में गंधर्व उपबर्हण के 60 पत्नियां थी और अत्यंत रूपवती होने की वजह से हमेशा सुंदर स्त्रियों से घिरे रहते थे। इसीलिए ब्रह्मा जी ने उन्हें शूद्र योनि में पैदा होने का श्राप दिया था।


भागवत मार्ग प्रशस्त करने वाले देवर्षि नारद जी ही हैं। जिन्होंने पंच रात्र द्वारा भगवान की सेवा करने का मार्ग दिखाया। वैसे नारद पुराण में 25000 श्लोक हैं इसके अलावा नारद संहिता संगीत का एक उत्कृष्ट ग्रंथ है। नारद के भक्ति सूत्र में भगवान भक्त की महिमा का वर्णन करते हैं। उसके अलावा नारदीय शिक्षा के साथ ही अनेक स्त्रोत भी उपलब्ध है।देवताओं के ऋषि होने के कारण आपको देवर्षि के नाम से जाना जाता है। अथर्ववेद में अनेक बार नारद नाम के ऋषि का उल्लेख है। भगवान श्री सत्यनारायण की कथा में भी नारद जी का उल्लेख मिलता है।
आप इस संसार के प्रथम पत्रकार एवं संवाददाता हैं। आपने वेदव्यास जी को वेदों का संकलन करने और श्रीमद्भागवत की रचना करने का उपदेश दिया था। बाल्मीकि जी प्रथम कवि, वेदव्यास जी प्रथम संपादक एवं गणेश जी प्रथम लेखक तथा संजय प्रथम इलेक्ट्रॉनिक मीडिया संवाहक है जिन्होंने महाभारत के युद्ध को प्रतिपल युधिष्ठिर को बताने का कार्य किया था। इस अवसर पर रामानुज पञ्चाङ्गम भी लोगों को धर्माचार्य द्वारा दिया गया।


कार्यक्रम में मुख्य रूप से दिनेश शर्मा प्रतिनिधि डॉ महेंद्र प्रताप सिंह एम एल सी सुरेश दुबे एडवोकेट व्योम कार्तिकेय द्विवेदी संदीप दुबे अश्वनी तिवारी अरविंद द्विवेदी राही जी संतोष सिंह सहित अनेक भक्त गण उपस्थित रहकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि आप सनातन धर्म के आदि संवाहक हैं।

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