…तो इस बात पर नाराज़ होकर नीतीश कुमार ने तोड़ा गठबंधन!

बिहार की सत्ता फिर से बदल चुकी है. हालांकि सीएम वही हैं नीतीश कुमार। अबऐसे में यह सवाल तो उठना ही था  कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि नीतीश कुमार, राजद ही नहीं, बल्कि इंडिया गठबंधन भी छोड़कर चले गए? इस एक यक्ष प्रश्न का कोई एक उत्तर नहीं है, एक तरफ तो इंडिया गठबंधन में उनकी जगह नहीं बन रही थी।  कांग्रेस ने उनका प्लान भी लगभग टेकओवर कर लिया था। दूसरी तरफ सीट बंटवारे पर लगातार देरी हो रही थी। तो वही तीसरी तरफ RJD के साथ भी कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा था।

जैसा की हम सभी जानते हैं कि INDIA गठबंधन के लिए विपक्षी एकता का नारा नीतीश कुमार का ही दिया हुआ था। फिर इस दरार के पीछे का असली कारण क्या है ? तारीख थी 13 जनवरी 2024 मकर संक्रांति से दो दिन पहले की बात। उस दिन इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी। बैठक में क्या हुआ, इस बाबत खबर आई थी कि नीतीश ने विपक्षी गठबंधन में संयोजक पद लेने से इनकार कर दिया है। उस दिन सामने आई खबर के मुताबिक, ‘नीतीश कुमार ने कहा कि लालू यादव जी सबसे वरिष्ठ हैं। उन्हें गठबंधन का संयोजक बनाया जाना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, नीतीश कुमार ने कहा कि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है इसलिए गठबंधन का चेयरमैन कांग्रेस के नेता को बनाना चाहिए। मैं संयोजक नहीं बनना चाहता हूं। मैं गठबंधन के बिना पद के लिए काम करूंगा।’

लेकिन, सूत्रों के मुताबिक, उस दिन जो बात सामने आई वह पूरी बात का एक हिस्सा भर है। असल में बात तो और आगे की है। हुआ यूं कि, नीतीश कुमार ने 13 जनवरी को ही तय कर लिया था कि वे अब इंडिया गठबंधन में नहीं रहेंगे। 13 जनवरी को वीडियो कांफ्रेंस से मीटिग हुई थी। नीतीश कुमार सीट शेयरिंग नहीं होने पर पहले से ही नाराज थे। नीतीश का संयोजक के रूप में ऐलान करना था, लेकिन राहुल गांधी ने कहा था कि ममता बनर्जी से सलाह कर बताएंगे। राहुल गांधी की इसी बात से नीतीश ने तय कर लिया था कि अब INDIA ब्लॉक में नहीं रहना है। सामने आया है कि नीतीश ने उसी दिन तय कर लिया था कि रिश्ता तोड़ना है और गुस्से में नीतीश ने कहा था कि ‘मुझे संयोजक नहीं बनना, लालू को बना दीजिए।’

…तो लालू यादव को संयोजक बनाने की जो बात सामने आई थी, और कहा गया था कि नीतीश ने ही प्रस्ताव दिया था। यह प्रस्ताव गठबंधन धर्म के नाते या लालू यादव की वरिष्ठता का मान रखते हुए नहीं दिया गया था, बल्कि नीतीश कुमार ने गुस्से में  यह बात कही थी। फिर होना क्या था… इसके बाद नीतीश कुमार के एक बेहद करीबी सहयोगी ने वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री से संपर्क किया। पार्टी नेतृत्व से बातचीत की। इस बातचीत के बाद केंद्रीय मंत्री ने हरी झंडी दिखाई। एक अड़चन और आई कि बिहार के बीजेपी के प्रदेश नेता तैयार नहीं थे। ऐसे में उन्हें दिल्ली बुला कर तैयार किया गया।

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