प्रतापगढ़ धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी के जन्मोत्सव की बहुत-बहुत बधाई
स्वामी श्री का जन्म श्रावण मास शुक्ल पक्ष द्वितीया संवत 1964 विक्रमी 11 अगस्त सन 1907 ईस्वी को ग्राम भटनी जिला प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश में सनातन धर्मी सरयूपारीण ब्राह्मण स्वर्गीय श्री राम निधि ओझा एवं परम धार्मिक स्वर्गीय श्रीमती शिवानी जी के आंगन में हुआ था बचपन में आपका नाम हरिनारायण रखा गया स्वामी जी आठ नव वर्ष की आयु से ही सत्य की खोज हेतु घर से पलायन करते रहे नव वर्ष की आयु में सौभाग्यवती कुमारी महादेवी जी के साथ विवाह संपन्न होने के पश्चात 19 वर्ष की अल्पायु में गिरफ्तार कर दिया उसी वर्ष ज्योतिर मठ के शंकराचार्य स्वामी श्री ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज से निश्चित ब्रह्मचारी की दीक्षा ली हरिनारायण से हरिहर चैतन्य बने स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती के शिष्य स्वामी जी की स्मरण शक्ति फोटोग्राफी एक बार जो चीज पढ़ लेते थे उन्हें बरसों बाद भी पूछने पर बता देते थे आपने धर्म तर्क धुरंधर मदन मोहन मालवीय जी एवं स्वामी दयानंद सरस्वती जी को भी शास्त्रार्थ में पराजित किया था विद्युत परिषद के कुछ विद्वानों ने श्रीमद्भागवत पुराण के नवम एवं दशम ताशकंद को अश्लील एवं चिपक कहकर निकालने का निर्णय कर लिया तब करपात्री जी ने पूरे 2 माह पर्यंत श्रीमद्भागवत की अद्भुत व्याख्या प्रस्तुत कर सिद्ध कर दिया कि वह तो भागवत की आत्मा है 24 वर्ष की उम्र में परम तपस्वी 1008 श्री स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती जी महाराज से विधिवत दंड ग्रहण कर अभिनव शंकर के रूप में आप का प्राकट्य हुआ 1948 में आपने अखिल भारतीय रामराज परिषद भारत की एक परंपरा वादी हिंदू पार्टी की स्थापना किया।
आपने गोरक्षा आंदोलन में अनेकों बार आप जेल गए7 नवंबर 1966 को संसद भवन के सामने धरना प्रदर्शन करते हुए हिंदू पंचांग के अनुसार 2012 कार्तिक शुक्ल की अष्टमी के दिन लाठियां खाई जिसमें कई संत काल कवलित हुए।माघ शुक्ल चतुर्दशी संवत 2054 307 फरवरी 1982 को केदार घाट वाराणसी में सुरक्षा से आपके पंचप्राण महाप्राण में विलीन हो गए आपके निर्देशानुसार आपके नश्वर पार्थिव शरीर का केदार घाट स्थित श्री गंगा महारानी की पावन गोद में जल समाधि दी गई।
आप द्वारा काशी में धर्म संघ की स्थापना की गई इस तरह आपका अधिकांश जीवन काशी में ही व्यतीत हुआ आप अद्वैत दर्शन के अनुयाई एवं शिक्षक थे भगवान शालिग्राम की सेवा सदैव करते और तीर्थ पाद लेने के बाद ही कुछ प्रसाद लेते थे हाथ में जितना आता था उतना ही प्रसाद पाते थे इसलिए आपका नाम करपात्री पड़ाआपने हिंदू धर्म की बहुत सेवा कि आप द्वारा अनेक अद्भुत ग्रंथ लिखे गए जैसे वेदार्थ उपाध्याय रामायण मीमांसा विचार पियूष मार्क्सवाद और रामराज्य आदि है।
दास ने प्रतापगढ़ में मारीशस के राष्ट्रपति अनिरुद्ध रामानुज दास के आगमन के समय रानीगंज में आपकी रचित रामायण मीमांसा को भेंट किया जो आज मारीशस पर राष्ट्रपति राभवन में रखी हुई है आप द्वारा धर्म की जय हो अधर्म का नाश हो प्राणियों में सद्भावना हो विश्व का कल्याण हो भारत अखंड हो गौ हत्या बंद हो का नारा दिया गया था श्री स्वामी जी के चरणों में शत शत नमन करते हुए दास भारत सरकार से भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान करने की मांग करता है ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास अध्यक्ष सर्वोदय सद्भावना संस्थान प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिव जी पुरम प्रतापगढ़।
नोट :–आज श्री स्वामी जी का जन्मोत्सव आपके जन्म स्थान ग्राम भटनी में तथा 11 अगस्त को रामानुज आश्रम में मनाया जाएगा।
जय श्रीमन्नारायण