पितरों को स्वर्ग लोक की प्राप्ति हेतु इंदिरा एकादशी का व्रत करें:– धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी की बहुत-बहुत बधाई बहुत-बहुत मंगल कामनाएं। दिनांक 28 सितंबर दिन शनिवार को सब की इंदिरा एकादशी है।
धर्मराज युधिष्ठिर ने पूछा हे मधुसूदन कृपा करके मुझे आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है, उसका क्या महात्म्य है बताने की कृपा कीजिए ।
भगवान श्री कृष्ण बोले हे राजन, आश्विन कृष्ण पक्ष में इंदिरा नाम की एकादशी होती है। उसके व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है नीच योनि में पड़े हुए पितरों को भी यह एकादशी सद्गति देने वाली है। राजन पूर्वकाल की बात है सतयुग में इंद्रसेन नाम से विख्यात राजकुमार थे जो अब माहिष्मतीपुरी के राजा होकर धर्म पूर्वक प्रजा का पालन करते थे। उनका यश सब ओर फैल चुका था। राजा इंद्रसेन भगवान विष्णु की भक्ति में तत्पर हो गोविंद के मोक्षदायक नाम का जाप करते हुए अपना समय व्यतीत करते थे। एक दिन राजा राजसभा में सुख पूर्वक बैठे थे इतने में देवर्षि नारद आकाश से उतरकर वहां पहुंचे, उन्हें आया देख राजा हाथ जोड़कर खड़े हो गए और विधि पूर्वक पूजन करके उन्हें आसन पर बिठाया।उसके बाद वह इस प्रकार बोले मुनि श्रेष्ठ आपकी कृपा से मेरी सर्वथा कुशल है। आज आपके दर्शन से मेरी संपूर्ण यज्ञ क्रियाएं सफल हो गई। देवर्षि अपने आगमन का कारण बताकर मुझ पर कृपा कीजिए।
नारद जी बोले हे नृपश्रेष्ठ सुनो मेरी बात तुम्हें आश्चर्य में डालने वाली है। मैं ब्रह्म लोक से यमलोक में आया था वहां एक श्रेष्ठ आसन पर बैठा और यमराज ने मेरी भक्ति पूर्वक पूजा की उसी समय यमराज की सभा में मैं तुम्हारे पिता को भी देखा था। वह व्रत भंग के दोष से वहां आए थे। राजन उन्होंने तुमसे कहने के लिए एक संदेश दिया है उसे सुनो उन्होंने कहा है बेटा मुझे इंदिरा के व्रत का पुण्य देकर स्वर्ग में भेजो। उनका यह संदेश लेकर मैं तुम्हारे पास आया हूं। राजन अपने पिता को स्वर्ग लोक की प्राप्ति करने के लिए इंदिरा एकादशी का व्रत करो।
राजन ने पूछा कृपा करके इंदिरा का व्रत बताइए किस पक्ष में किस तिथि को और किस विधि से उसका व्रत करना चाहिए। नारद जी ने कहा हे राजेंद्र सुनो मैं तुम्हें इस व्रत की शुभकारक विधि बतलाता हूं। आश्विन के कृष्ण पक्ष में दशमी के उत्तम दिन को श्रद्धा युक्त चित्त से प्रातः काल स्नान करें फिर मध्यान काल में स्नान करके एकाग्रचित्त हो एक समय भोजन करें तथा रात्रि में भूमि पर सोए। रात के अंत में निर्मल प्रभात होने पर एकादशी के दिन दातुन करके मुंह धोए इसके बाद भक्ति भाव से यह प्रार्थना करते हुए उपवास का नियम ग्रहण करें ।
कमलनयन भगवान नारायण आज मैं सब भोगों से अलग हो निराहार रहकर कल भोजन करूंगा। अच्युत आप मुझे शरण दें।
इस प्रकार नियम करके मध्यान कल में पितरों की प्रसन्नता के लिए शालग्रामशिला के सम्मुख विधि पूर्वक श्राद्ध करे दक्षिणा से ब्राह्मणों का सत्कार करके उन्हें भोजन करावे पितरों के दिए हुए अन्न में पिंड को सूंघ कर विद्वान पुरुष गाय को खिला दे, फिर धूप और गंध से भगवान हृषीकेश का पूजन करके रात्रि में उनके समीप जागरण करें। तत्पश्चात सवेरा होने पर द्वादशी के दिन पुनः भक्ति पूर्वक श्री हरि की पूजा करे, उसके बाद ब्राह्मणों को भोजन करा कर भाई बंधु नाती और पुत्र आदि के साथ मौन होकर भोजन करें इस विधि से आलस्य रहित होकर तुम इंदिरा का व्रत करो।
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं राजन राजा इंद्रसेन से ऐसा कह कर देवर्षि नारद अंतर ध्यान हो गए। राजा ने उनकी बताई हुई विधि से अंत: पुर की रानियां पुत्रों और भृत्यों सहित उस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया।
हे कुंती नंदन व्रत पूर्ण होने पर आकाश से फूलों की वर्षा होने लगी। इंद्रसेन के पिता गरुड़ पर आरुढ होकर श्री विष्णु धाम को चले गए और राजा इंद्रसेन भी अकंटक राज्य का उपभोग करके अपने पुत्र को राज्य पर बिठाकर स्वयं स्वर्ग लोक को गए । इस प्रकार मैं तुम्हारे सामने इंदिरा के महात्मय का वर्णन किया है। इसको पढ़ने और सुनने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।
ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिवजीपुरम प्रतापगढ़ । नोट:– एकादशी का पारणा 29 तारीख रविवार को 8:14 तक प्रातः।
कृपा पात्र परम पूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जियर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी एवं श्री रामानुज कोट नैमिषनाथ भगवान अष्टंम भू बैकुंठ नैमिषारण्य।