चंद्रशेखर जी विद्यार्थी राजनीति में एक “फायरब्रान्ड” के नाम से जाने जाते थे
प्ररम्भिक जीवन
उनका जन्म 17 अप्रैल 1927 में पूर्वी उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी के एक कृषक परिवार में हुआ था। इनकी स्कूली शिक्षा भीमपुरा के राम करन इण्टर कॉलेज में हुई। उन्होंने एम ए डिग्री इलाहाबाद विश्वविध्यालय वर्तमान मे प्रयागराज से किया। उन्हें विद्यार्थी राजनीति में एक “फायरब्रान्ड” के नाम से जाना जाता था। विद्यार्थी जीवन के पश्चात वह समाजवादी राजनीति में सक्रिय हुए।
राजनैतिक जीवन
1962 से 1977 तक वह भारत के ऊपरी सदन राज्य सभा के सदस्य थे। उन्होंने 1984 में भारत की पदयात्रा की, जिससे उन्होंने भारत को अच्छी तरह से समझने की कोशिश की। इस पदयात्रा से इन्दिरा गाँधी को थोड़ी घबराहट हुई। सन 1977 मे जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो उन्होने मंत्री पद न लेकर जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लिया था। सन 1977 मे ही वो बलिया जिले से पहली बार लोकसभा के सांसद बने।
उन्होंने पहले के नेता विश्वनाथ प्रताप सिंह के राजीनामा के बाद जनता दल से कुछ नेता लेकर समाजवादी जनता पार्टी की स्थापना की। उनकी सरकार को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने चुनाव ना करने के लिए समर्थन करने के बाद उनकी छोटे बहुमत की सरकार बन गयी। उनका कांग्रेस से सम्बन्ध बाद मे कांग्रेस ने उनको नेता राजीव गाँधी का सुराकी करने के आरोप के कारण से बदल गया। कांग्रेस ने उनके सरकार को सहयोग नकारने के बाद उन्होंने 60 सांसद के समर्थन के साथ इस्तीफा घोषणा कर दी।
प्रधान मन्त्री के पद में 6 महीने तक रहे चन्द्रशेखर 6 मार्च 1991 में राजीनामा किया। उन्होंने लेकिन राष्ट्रीय चुनाव तक प्रधानमन्त्री का पद संभाला। चन्द्रशेखर उनके संसदीय वार्तालाप के लिए बहुत चर्चित थे। उन्हें 1995 में आउटस्टैण्डिंग पार्लिमेन्टेरियन अवार्ड भी मिला था।
चन्द्रशेखर भारत के निचले सदन लोक सभा के सदस्य थे। उन्होंने यहाँ समाजवादी जनता पार्टी (राष्ट्रीय) का नेतृत्व किया था। 1977 सेउन्होंने लोक सभा की निर्वाचन 8 बार उत्तर प्रदेश के बलिया से जीता था। सन 1984 मे इन्दिरा गांधी की हत्या से उपजे आक्रोश के कारण एक बार चुनाव हारे थे।
शेखरजी को मल्टीपल मायलोमा, एक प्रकार का प्लाज्मा कोष कैंसर हुआ था। 3मई 2007 को उनको इस रोग के इलाज हेतु गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती किया गया। उनकी अवस्था बिगड़ती गयी और आखिर में 8 जुलाई 2007 में नई दिल्ली में अस्पताल में उनका देहावसान हो गया।
चन्द्रशेखर जी एक युग थे भारतीय राजनीति में वे स्वजनो के प्रति सदैव समर्पण तथा आत्मीयता का सम्बन्ध निभाने में आजीवन लगे रहे,वे निर्भीक व ईमानदार लोगों से मित्रता रखना पसन्द करते थे उनमें संगठन चलाने की अचूक क्षमता थी।