राधा जी के श्री मुख से प्रकट हुई थी मां सरस्वती:— धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
प्रतापगढ़ सर्वोदय सद्भावना संस्थान द्वारा विगत वर्षों की भांति बसंत पंचमी रामानुज आश्रम शिवजी पुरम में धूमधाम से मनाई गई। उक्त अवसर पर प्रातः काल भगवान शालिग्राम की सेवा के पश्चात मां सरस्वती एवं वेदों का विधि विधान से पूजन अर्चन संपन्न हुआ।
धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने कहा कि श्रीमद्देवीभागवत के अनुसार पूर्व काल में पराशक्ति के पांच भाग हुए। प्रथम गायत्री, लक्ष्मी,उमा, मां सरस्वती और धर्मद्रवा नाम का जल ब्रह्मा जी ने धर्मद्रवा नाम के जल को अपने कमंडल में रख लिया।
पंच देवियां है जिनमें गायत्री, लक्ष्मी, उमा ,मां सरस्वती और श्री राधा जी ,एक कथा के अनुसार गोलोक में राधा जी के श्री मुख से सरस्वती जी उत्पन्न हुई। जिन्होने काम दृष्टि से भगवान श्री कृष्ण को देखा तो राधा जी ने मां सरस्वती को श्राप दे दिया।भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें क्षीर सागर में भगवान श्रीमन्नारायण के पास भेजा और कहा कि वहां पर लक्ष्मी जी सदा उनका कैंकर्य करती रहती हैं ।आप वहीं पर चले ,हम उन्हीं के स्वरूप हैं। आज से लेकर प्रलय पर्यंत तक मनुष्य देवता मुमुक्षु तथा प्रसिद्ध मुनिगण वसु योगी सिद्ध नाग गंधर्व एवं राक्षस सभी भक्ती पूर्वक षोडशोपचार से तुम्हारी पूजा-अर्चना करेंगे। माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि विद्यारंभ की पुण्यतिथि होगी।
महर्षि भृगु ने नारद जी से मां सरस्वती के कवच का ज्ञान प्राप्त किया था। जिसका नाम विश्वजय है। इस कवच को धारण करने से बृहस्पति देवताओं के तथा शुक्राचार्य संपूर्ण दैत्यों के पूज्य गुरु बने, आदि कवि वाल्मीकि जी ने इस कवच स्त्रोत को धारण किया जिसके कारण वह कवींद्र कहलाए।
महाराज मनु ने इस कवच को धारण करके जगत के पूज्य बने। नारायणी रामानुज दासी इं अनामिका पांडे डां अंकिता पांडे विश्वम प्रकाश पांडे इं पूजा पांडे सहित अनेक भक्त गण उपस्थित रहे।