श्री गणेश ने माता तुलसी को असुर से विवाह होने का शाप क्यों दिया

पुराणों में एक रोचक कथा मिलती है। एक समय में धर्मात्मज नाम के राजा हुआ करते उनकी कन्या तुलसी यौवनावस्था में थी। अपने विवाह की इच्छा लेकर तुलसी तीर्थ यात्रा पर निकल पड़ी। उन्होंनें कई जगह की यात्रा कि एक स्थान पर उन्हें तरुणावस्था में भगवान श्री गणेश को तपस्या में लीन देखा। भगवान गणेश का रुप अत्यंत मोहक और आकर्षक था। तुलसी भगवान गणेश के इस रूप पर मोहित हो गई और अपने विवाह का प्रस्ताव उनके समक्ष रखने के लिए उनका ध्यान भंग कर दिया।
भगवान गणेश ने स्वयं को ब्रह्मचारी बताते हुए तुलसी का विवाह प्रस्ताव ठुकरा दिया। तुलसी को भगवान गणेश के इस रुखे व्यवहार और अपना विवाह प्रस्ताव ठुकराए जाने से बहुत दुख हुआ और उन्होंने आवेश में आकर भगवान गणेश को दो विवाह होने का शाप दे दिया। इस पर श्री गणेश ने भी तुलसी को असुर से विवाह होने का शाप दे डाला।


बाद में तुलसी को अपनी भूल का अहसास हुआ और भगवान गणेश से क्षमा मांगी। भगवन गणेश ने माता तुलसी से कहा की ना तुम्हारा शाप खाली जाएगा ना मेरा। मैं रिद्धि और सिद्धि का पति बनूंगा और तुम्हारा भी विवाह राक्षस जलंधर से अवश्य होगा लेकिन अंत में तुम भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की प्रिया बनोगी और कलयुग में भगवान विष्णु के साथ तुम्हें पौधेे के रूप में पूजा जाएगा लेकिन मेरी पूजा में तुलसी का प्रयोग नहीं किया जाएगा।

भारत के अधिकांश घरों में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है। हमारे ऋषियों को लाखों वर्ष पूर्व तुलसी के औषधीय गुणों का ज्ञान था इसलिए इसको को दैनिक जीवन में प्रयोग हेतु इतनी प्रमुखत से स्थान दिया गया है। आयुर्वेद में भी तुलसी के फायदों का विस्तृत उल्लेख मिलता है। आइये तुलसी के गुणों, तुलसी के उपयोग और आयुर्वेदिक महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

औषधीय गुणों में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है

तुलसी के पत्तों की तरह तुलसी के बीज के फायदे भी अनगिनत होते हैं। आप तुलसी के बीज के और पत्तियों का चूर्ण भी प्रयोग कर सकते हैं। इन पत्तियों में कफ वात दोष को कम करने, पाचन शक्ति एवं भूख बढ़ाने और रक्त को शुद्ध करने वाले गुण होते हैं। इसके अलावा तुलसी के पत्ते का फायदे बुखार, दिल से जुड़ी बीमारियां, पेट दर्द, मलेरिया और बैक्टीरियल संक्रमण आदि में बहुत फायदेमंद हैं। तुलसी के औषधीय गुणों में राम तुलसी की तुलना में श्याम तुलसी को प्रमुख माना गया है।

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