ठाकुर जी की शरणागति ही जीवन का सर्वोत्तम साधन है:– आचार्य संजय शरण शांडिल्य
प्रतापगढ़। उमरार परम पूज्य वैकुंठवासी परम श्री वैष्णव स्वामी टीकमाचार्य जी महाराज पूर्व महंथ गोपाल मंदिर रायपुर के प्रिय शिष्य संजय सरन शांडिल्य महराज के द्वारा उमरार प्रतापगढ़ कुभींआयमा अठेहा के पास श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह की अमृत वर्षा हो रही है। मुख्य यजमान गिरजा शंकर दुबे एवं श्रीमती गीता द्विवेदी को पंचम दिवस भगवान के बाल लीलाओं का वर्णन करते हुए आपने गोवर्धन के महत्व का वर्णन किया।
आपने कहा इस कलयुग में जितने भी मंदिर हैं मूर्तियां हैं वह किसी ने किसी के द्वारा निर्मित किए गए हैं, किंतु केवल दो स्थानों पर भगवान स्वयं प्रथम वेंकटाचल की पहाड़ियों पर भगवान वेंकटेश एवं वृंदावन में गोवर्धन महाराज विराजित है। भगवान ने प्रकृति के संरक्षण एवं को गौ पूजन हेतु सात दिन सात रात सात कोस के गोवर्धन को अपने बाएं हाथ की कनखी उंगली पर धारण किया था।
इंद्र ने संवर्तक नामक मेघ को आदेश देकर भारी वर्षा कराया जिसकी बूंदें वृक्ष की मोटाई के बराबर थी। अंत में इंद्र स्वयं एऐरावत के सूंड में सुरभि गाय के दूध को लाकर भगवान का अभिषेक किया और गोविंद नाम से पूजा करके साष्टांग प्रणाम कर शरणागत हुआ। ठाकुर जी की शरणागति ही का सर्वोत्तम साधन है। जीवन में जो भी करो परमात्मा से जोड़कर करो। अभिमान करना बुरी बात है, जीवन में आशा करनी है तो गोविंद से मिलने की करो संसार की आशाएं व्यर्थ हैं।
जनमानस में प्रसन्नता की लहर है।भारी संख्या में महिला पुरुष एकत्रित होकर कथा श्रवण कर रहे हैं।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से राजेश दुबे रूद्र दुबे प्रमोद दुबे संतलाल दुबे शिवम मिश्रा आचार्य घुम्मन शुभम सिंह कपिल शुक्ला राजेंद्र मौर्य सुमित विश्वकर्मा उमेश तिवारी सहित भारी संख्या में महिला पुरुष एकत्रित रहे उपस्थित रहे।