विजया एकादशी के व्रत करने से होती है विजय की प्राप्ति:– धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी की बहुत-बहुत बधाई। दिनांक24 फ़रवरी दिन सोमवार को सभी की एकादशी है।
धर्मराज युधिष्ठिर के पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा, एक बार यही प्रश्न नारदजी ने कमल के आसन पर विराजमान ब्रह्मा जी से किया था ।ब्रह्मा जी ने कहा नारद सुनो फाल्गुन के कृष्ण पक्ष की जो एकादशी होती है उसे विजया एकादशी कहते हैं ।
इस विषय में एक उत्तम कथा है। यह व्रत बहुत ही प्राचीन पवित्र और पाप नाशक है। एकादशी राजाओं को विजय प्रदान करती है इसमें तनिक भी संदेह नहीं है ।मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जब 14 वर्षों के लिए वन में गए वहां पंचवटी में सीता का अपहरण हो गया। सीता की खोज करते हुए उन्हें जटायु मिले जिनकी आयु समाप्त हो चुकी थी। इसके पश्चात वन के भीतर कबंध नामक नामक राक्षस का उन्होंने वध किया फिर हनुमान जी के द्वारा सुग्रीव से उनकी मित्रता हुई। हनुमान जी ने लंका में जाकर सीता जी का पता लगाया उन्हें भगवान की मुद्रिका सीता जी को प्रदान की लौट कर आकर सारी बातें भगवान श्री राम से बताया।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने अपने भाई लक्ष्मण जी से पूछा सुमित्रानंदन किस पुण्य से समुद्र को पार किया जा सकता है? लक्ष्मण बोले महाराज आप ही आदि देव और पुरुषोत्तम है। आपसे क्या छिपा है। यहां वन के भीतर बगदालभ्य मुनि रहते हैं । यहां से आधे योजन की दूरी पर उनका निवास है हमें उनके पास चलना चाहिए। भगवान बगदालभ्य जी के आश्रम में गए। मुनि बहुत प्रसन्न हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने निवेदन किया आपकी कृपा से मैं राक्षसों का वध करना चाहता हूं। लंका पर विजय प्राप्त करना चाहता हूं कोई उपाय बताइए। बगदालभ्य ने कहा फाल्गुन के कृष्ण पक्ष में जो विजया नाम की एकादशी होती है उसका व्रत करने से आपकी निश्चित विजय होगी।
श्री रामने कहा इसकी कथा कैसे फलदायक होगी कृपया सुनाने की कृपा करें ।मुनि ने कहा दसमी के दिन आने पर एक कलश स्थापित करें जो सोना चांदी तांबा मिट्टी का भी हो सकता है। उस कलश में जल भरकर उसके ऊपर भगवान नारायण की स्थापना करे।
एकादशी के दिन प्रातः काल स्नान करें माला चंदन सुपारी तथा नारियल के द्वारा विशेष रूप से पूजन करें। कलश के ऊपर सप्त धान्य और जौ रखें भांति भांति नैवेद्य से विधि पूर्वक पूजन करें। संकल्प लेकर दिन में एकादशी का व्रत करें रात्रि में जागरण करें। द्वादशी के दिन सूर्योदय होने पर कलश को किसी जलाशय के समीप ले जाकर स्थापित कर पुनः उस की पूजा करके उस प्रतिमा और कलश को ब्राह्मण को दानकर दें।
इस प्रकार श्रीराम ने अपने युद्ध पतियों के साथ इस विधि पूर्वक से विजया का व्रत किया। ब्रह्मा जी कहते हैं ऐसा करने के पश्चात उन्होंने विजया एकादशी के प्रभाव से संग्राम में रावण को मारा लंका पर विजय पाई सीता जी को प्राप्त किया ।जो मनुष्य ऐसा करते हैं उन्हें इस लोक में विजय प्राप्त होती हैं और उनका परलोक भी बना रहता है।
भगवान श्री कृष्ण कहते हैं इस को पढ़ने और सुनने से वाचपेय यज्ञ का फल मिलता है।
दासानुदास ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास, रामानुज आश्रम, संत रामानुज मार्ग, शिव जी पुरम प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश।
कृपा पात्र श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रामणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जगन्नाथ पुरी एवं नैमिषनाथ भगवान रामानुजकोट अष्टम भू बैकुंठ नैमिषारण्य।
नोट :–पारणा 25 फ़रवरी मंगलवार प्रातः 8:43 तक