क्या श्वेतपत्र पर लोकसभा चुनाव से पहले ही फंस जाएगी कांग्रेस? क्या है BJP का प्लान ?

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ऐसी तैयारी में जुटी है, जिससे कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। दस साल पहले, 2014 में जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्‍व में NDA की सरकार बनी तो उस पर भारी दबाव था। उस वक्‍त श्वेत पत्र न लाने के मोदी सरकार के फैसले से कई लोग नाखुश थे। एक दशक बाद, श्वेत पत्र की वह मांग पूरी होने जा रही है। अंतरिम बजट 2024-25 में वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 2014 से पहले ‘अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन’ पर श्वेत पत्र लाया जाएगा।

वित्त मंत्री के मुताबिक, सिर्फ उन वर्षों के कुप्रबंधन से सबक लेने के मकसद से अब ये देखना उचित है कि हम 2014 से पहले कहां थे और अब कहां हैं। मोदी सरकार ऐसे समय में उस दौर की वास्तविकता सामने रखने की बात कह रही, जिसे वह देश के लिए ‘अमृतकाल’ कह रही है। वित्त मंत्री ने कोई तारीख नहीं दी लेकिन इतना तय है कि यह श्वेत पत्र लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा से पहले संसद में पेश किया जाएगा. श्वेत पत्र में सरकार यह बताएगी कि भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत 2014 से पहले क्या थी और फिर एनडीए सरकार ने कौन-कौन से कदम उठाकर उसे कैसे ठीक किया।

क्या है श्वेतपत्र 

श्वेतपत्र एक तरह काऑफिसियलस्टेटमेंट होता है जिसे सरकार संसद के सामने रखती है। आमतौर पर विपक्ष श्वेत पत्र की मांग करता है जब उसे लगता है कि सरकार किसी मुद्दे पर पूरी बात नहीं बता रही। माना जाता है कि श्वेत पत्र में सरकार झूठ नहीं बोलती। हालांकि श्वेत पत्र का कोई वैधानिक महत्व नहीं है।

श्वेतपत्र से बीजेपी को होगा फायदा 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम और चेहरे पर बीजेपी तीसरी बार चुनाव लड़ने वाली है. अंतरिम बजट में लोकलुभावने घोषणा ना करके बीजेपी अपनी जीत के प्रति आश्‍वस्‍त दिख रही है। यह श्वेत पत्र बीजेपी के लिए जीत की गारंटी साबित हो सकता है। श्वेत पत्र में बताया जाएगा कि कैसे एनडीए सरकार ने बैंकों की सेहत सुधारने के लिए रिफॉर्म किए और निवेशकों का भरोसा लौटाया. NDA सरकार ने यूपीए के मुकाबले इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर पर खर्च बढ़ाया है और वित्तीय घाटे को कम करने की दिशा में कदम उठाए हैं। लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी के आत्मविश्वास के साथ आम चुनावों के लिए तैयार मोदी सरकार के लिए अब 10 साल पहले यूपीए सरकार के दौरान देश की अर्थव्यवस्था और मौजूदा अर्थव्यस्था की तुलना करना ज्यादा फायदेमंद लग रहा है।

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