हनुमान जी प्रभु श्री राम के छोटे भाई हैं:– धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग में हनुमान जी की जयंती धूमधाम से मनाई गई।
इस अवसर पर हनुमान जी का पूजन अर्चन करने के पश्चात धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास ने जनमानस को बधाई देते हुए कहा कि हनुमान जी ज्ञानियों में अग्रगणी परम जितेंद्रिय और गुणों की खान है। भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के परम प्रिय भक्त हैं ।इस कलयुग के अंतर्गत आपके नाम स्मरण से जीवो का कल्याण हो जाता है क्योंकि गोसाईं जी कहते हैं “राम ते अधिक राम कर दासा”।
हनुमान जी भगवान प्रभु श्री राम के दास हैं। इस संसार में जब भगवान श्रीमन्नारायण मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के रूप में महाराज दशरथ और माता कौशल्या के यहां अवतरित हुए तो आप उसी पायस से जिस से भगवान का अवतार हुआ ,लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न भी उसी पायस से अवतरित हुए थे। उसी पायस को एक चील के द्वारा माता अंजनी के गर्भ में आप पवन देवता की कृपा से प्रवेश किया था। इस प्रकार आप प्रभु श्री राम के छोटे भाई हैं। प्रभु श्री राम ने चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी को अवतार लिया और हनुमान जी चैत्र मास शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को अवतरित हुए।
आप पवन पुत्र और संकर सुवन भी कहे जाते हैं ।आपका पूजन करने से समस्त पाप और कष्ट दूर हो जाते हैं। माता सीता ने आपको अजर और अमर होने का वरदान दिया था। इसके पूर्व में बालपन में आपने सूर्य को मुख में डाल लिया , जिसके कारण इस संसार के अंदर अंधेरा छा गया। इंद्र ने अपने वज्र से आप को मारा जिससे आपकी दाढ़ी टेढ़ी हो गई इस कारण आपका हनुमान नाम पड़ा। पवन देवता क्रोधित हो गए संसार में हाहाकार मच गया ब्रह्मा जी ने आपको मूर्छित अवस्था से पुनः जीवित करके अमर होने का वरदान दिया।
आपका प्रतापगढ़ से भी नाता है क्योंकि जब प्रभु श्रीराम लंकापुरी से लौटने लगे तो भरद्वाज आश्रम पहुंचने के पहले आपको प्रभु श्री राम ने केवट को संदेश देने के लिए भेजा। आप केवट को संदेश देकर वाल्मीकि रामायण के अनुसार बालकुनी अर्थात बकुलाही नदी को पार करके राम क्षेत्र अर्थात रामनगर का दर्शन करते हुए भरत जी से मिलने के लिए गए थे।
इस संसार में जो सप्त चिरंजीवी है उसमें से एक आप भी हैं।जहां पर श्री राम कथा होती है वहां पर आप आकर विराजित हो जाते हैं।जो भी हनुमान जी की सेवा करता है उस पर प्रभु श्री राम और माता सीता की कृपा सदा बनी रहती ह