जल में नग्न स्नान नहीं करना चाहिए:– जगद्गुरु स्वामी योगेश्वराचार्य
प्रतापगढ़ सौराई ग्राम सैफाबाद में श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह की अमृत वर्षा अनंत विभूषित जगदगुरु रामानुजाचार्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री योगेश्वराचार्य अतुलेश्वर धाम इंद्रप्रस्थ के श्री मुख से हो रही है।
मुख्य यजमान श्रीमती सावित्री पांडे पत्नी छोटे लाल पांडे को कथा श्रवण कराते हुए आपने कहा कि भगवान श्रीमन्नारायण के अवतार श्री कृष्ण कन्हैया ने गोपिकाओं का कोई लहंगा चुनरी नहीं चुराया था। कन्हैया ब्रह्म हैं गोपिकाएं जीव हैं और वस्त्र अविद्या है, अर्थात ब्रह्म ने गोपिका रूपी जीव के अविद्या रुपी वस्त्र का हरण किया था और उन्हें ज्ञान प्रदान किया कि यमुना जी में नग्न स्नान नहीं करना चाहिए। जमुना जी में वरुण देवता का वास होता है। इंद्र के घमंड को दूर करने के लिए और प्रकृति के संरक्षण हेतु आपने नंद बाबा से कहकर इंद्र की पूजा को बंद करा दिया और सात कोष के गोवर्धन की पूजा कराया।
आपने कहा कि हमारी गायें गोवर्धन पर्वत पर चरती हैं इनसे हमें घास मिलती है उनके खाने के बाद गायें तृप्त होती हैं और हमें मीठा दूध प्रदान करती है। इंद्र नाराज हो गया और उसने संवर्तक नामक मेघ जिसकी बूंदें वृक्ष के समान मोटी थी। उनको भेज कर भारी वर्षा कराना शुरू किया। ग्वाल बाल चिल्लाने लगे तब कन्हैया ने गोवर्धन पर्वत को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठा उंगली पर सात दिन साथ रात धारण कर लिया। ग्वाल वालों ने पूछा कन्हैया इतनी शक्ति तुम्हें कैसे प्राप्त हुई तो प्रभु बोलते हैं। कछु माखन को बल मिल्यो कछु गोपन कीन्हं सहाय राधा जी की कृपा से मैंने गोवर्धन लियो उठाय। इंद्र ऐरावत को लेकर आया और सुरभि गाय के दूध को ऐरावत के सूंड में भरकर भगवान का अभिषेक किया तथा साष्टांग करते हुए गोविंद नाम से पूजा किया। इंद्र का घमंड चूर हुआ।
श्रीमन्नारायण एकमात्र ईश्वर है और सभी देवी देवता हैं। कंस को अक्रूर जी ने समझाया सोचने से कुछ नहीं होता व्यक्ति को कर्म करना चाहिए। यह मानव की सबसे बड़ी भ्रांति है की सोचता बहुत कुछ है पर करता कुछ नहीं है। ऐसा करेंगे तो ऐसा होगा क्या क्या विचार मन में आते हैं परंतु होता वही है जो गोविंद को प्रिय होता है।
भगवान ने लीला किया 11 वर्ष 56 दिन के थे जब गोकुल से मथुरा गए और कंस का उद्धार किया। कार्यक्रम में मुख्य रूपसे दुर्गेश कुमार पांडे प्रधानाचार्य बृजेश कुमार पांडे चंद्रेश पांडे बजरंगी प्रसाद गौतम पांडे अमर बहादुर सूबेदार पांडे देवेश उर्फ दद्दा महाराज सहित भारी भक्ति कथा श्रवण कर रहे हैं।