क्या मोदी सरकार देगी न्याय? स्वामी सहजानंद सरस्वती को भारत रत्न देने की मांग तेज!

भारतीय किसान आंदोलन के प्रणेता स्वामी सहजानंद सरस्वती को भारत रत्न देने की मांग जोर पकड़ रही है। किसान संगठनों, समाजसेवियों और राजनीतिक नेताओं ने सरकार से अपील की है कि किसानों के इस मसीहा को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया जाए। सवाल उठ रहा है – क्या मोदी सरकार न्याय करेगी और स्वामी सहजानंद सरस्वती को भारत रत्न से सम्मानित करेगी?

कौन थे स्वामी सहजानंद सरस्वती?

22 फरवरी 1889 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में जन्मे स्वामी सहजानंद सरस्वती मूल नाम नौरंग राय ने जीवनभर किसानों और मजदूरों के हक के लिए संघर्ष किया। उन्होंने 1929 में अखिल भारतीय किसान सभा की स्थापना की, जिसने देशभर में किसान आंदोलनों को नई दिशा दी। वे ब्रिटिश हुकूमत के साथ-साथ जमींदारी प्रथा के खिलाफ भी लड़े।

भारत रत्न की मांग क्यों हो रही है?

स्वामी सहजानंद सरस्वती ने अपने संघर्षों से किसानों को संगठित किया और उनकी आवाज बुलंद की। उनके योगदान को देखते हुए, बिहार के कई राजनीतिक दलों और किसान संगठनों ने उन्हें भारत रत्न देने की मांग तेज कर दी है। भाजपा नेता रवींद्र रंजन ने देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाने की घोषणा की है ताकि यह मांग राष्ट्रपति तक पहुंचे।

क्या कह रही है सरकार?

अब तक केंद्र सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन किसान संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का दबाव बढ़ता जा रहा है। अगर सरकार इस मांग को मानती है, तो यह किसानों के प्रति सम्मान की बड़ी मिसाल होगी।

आगे क्या होगा?

स्वामी सहजानंद सरस्वती को भारत रत्न देने की मांग अगर और तेज हुई, तो मोदी सरकार को इस पर जल्द ही कोई फैसला लेना पड़ सकता है। क्या सरकार इस महान विभूति को सम्मानित करेगी या यह मांग सिर्फ चर्चाओं तक सीमित रह जाएगी? यह देखने वाली बात होगी।

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