अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी देने वाले बास्केटबाल खेल के भीष्म पितामह डॉ के एन राय अब नहीं रहे

एक युग का समापन
नाम – डॉ कवीन्द्र नाथ राय
पिता- स्व० कपिलदेव राय
जन्मस्थान/ जन्मतिथि – ग्राम सोनवानी, गाजीपुर, उ०प्र०
शिक्षा- बी०एस०सी०, इलाहाबाद विश्वविद्यलय
पद- भूतपूर्व सहायक निदेशक (शारीरिक शिक्षा) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी
बी०एच०यू० में कार्यभार ग्रहण किया- 1980
सेवानिवृत्ति – 2005


डॉ के एन राय बी एह यू एवं उत्तर प्रदेश में बास्केटबाल खेलो के भीष्म पितामह कहे जाते थे। आज दिनांक 27-04-2021 को बीमारी के पश्चात प्रातः काल मे इनहोने अपनी अंतिम साँसे लीऔर अपने पीछे पत्नी, पाँच बेटियाँ/दामाद एवं अपने हजारो शिष्यो का परिवार छोड़कर चले गये। सेवानिवृति के पश्चात वर्तमान मे डॉ राय बी०एच०यू० के बगल मे स्थित महामना पूरी कॉलोनी मे अपनी धर्मपत्नी के साथ रह रहे थे।
डॉ राय जितने महान खिलाड़ी रहे उतने ही बेहतरीन प्रशिक्षक भी रहे । डॉ राय ने कभी अपने आदर्शो के साथ सम्झौता नहीं किया, महामना पंडित मदन मोहन मालवीय को वो अपना आदर्श मानते थे । डॉ राय समय के पाबंद थे, कहा जाता था की एक बार घड़ी लेट हो सकती है परंतु डॉ राय कभी लेट नहीं होते थे। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय मे रहकर उन्होने सैकड़ों अन्तराष्ट्रिय एवं राष्ट्रिय खिलाड़ी देश को प्रदान किये जिनहोने राष्ट्रिय/अन्तराष्ट्रिय पटल पर बी० एच० यू० तथा काशी का नाम रौशन किया। इनके प्रमुख शिष्यो में मिहिर पांडे (पूर्व कप्तान भारतीय टीम), उपेंद्र सिंह (झन्नू), दिव्या सिंह (पूर्व कप्तान, भारतीय टीम), प्रशांति सिंह, कार्तिक राम, अतुल सिन्हा (DSO), अजय सिंह, वैभव सिंह (अंतराष्ट्रीय रेफरी), डॉ शैलेंद्र नारायण सिंह, दिलीप कुमार (DSO), डॉ गौरव कुमार सिंह (सहायक प्राध्यापक, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, गया), शैलेंद्र राय, परमहंस सिंह(पू० रेलवे) एवं हजारो शिष्य जो देश के विभिन्न उत्कृस्ट संस्थानो मे अपना योगदान दे रहे है।
डॉ राय ने अपने करियर की शुरुवात पूर्वोत्तर रेलवे से की जहा पर उन्होने टीसी के पद पर कार्यभार ग्रहण कर कुछ वर्षो तक अपना योगदान प्रदान किया तथा राष्ट्रिय स्तर पर अनेक वर्षो तक पूर्वोत्तर रेलवे की टीम का प्रतिनिधित्व किया। डॉ राय जीने अच्छे खिलाड़ी बास्केटबाल के थे उतने ही अच्छे खिलाड़ी फुटबाल एवं एथ्लेटिक्स के भी थे।
डॉ के एन राय बी० एच० यू० ही नहीं उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश मे बास्केटबाल के क्षेत्र मे अपनी अलग पहचान रखते थे, अपनी मधुर वाणी, सदैव दूसरों की सहायता को ततत्पर रहते थे।
डॉ के एन राय ने अनेकों बार भारतीय टीम के प्रशिक्षण हेतु अवसर मिलने के पश्चात भी पारिवारिक जिम्मेदारियो की वजह से अपना योगदान नहीं दे पाये परंतु उनके शिष्यो ने हर स्तर पर उनका नाम रौशन किया एवं उनकी एक अलग पहचान बनाई। डॉ राय अनेक गरीब शिष्यो को आर्थिक रूप से भी मदद किया करते थे ।
डॉ के एन राय के नाम एक अनोखा रेकॉर्ड दर्ज है, उनके कार्यकाल के दौरान लगभग 30 से ज्यादा वर्षो तक बी० एच० यू० बास्केटबाल टीम लगातार आल इंडिया अंतर विश्वविद्यालयी बास्केटबाल खेलो हेतु qualify करती रही। सेवानिवृति के पश्चात भी लगभग 05 वर्षो तक अपना योगदान विश्वविद्यालय को प्रदान करते रहे।
डॉ के एन राय के निधन पर प्रो ० दिलीप कुमार डूरेहा (पूर्व कुलपति, एल एन आई पी ई, ग्वालियर ), डॉ विद्या सागर सिंह, सेवानिवृत्त सह-निदेशक (विश्वविद्यालय खेल परिषद, बी०एच०यू०), डॉ एम एम पाल, सेवानिवृत्त सह-निदेशक (विश्वविद्यालय खेल परिषद, बी०एच०यू०), डॉ मृत्युंजय राय, सेवानिवृत्त सह-निदेशक (विश्वविद्यालय खेल परिषद, बी०एच०यू०), प्रो० अभिमन्यु सिंह, विभागाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग , बी०एच०यू०, प्रो सुषमा घिल्डियाल, पूर्व-विभागाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग , बी०एच०यू०, प्रो राजीव व्यास, डॉ अखिल मल्होत्रा, डॉ आशीष सिंह, विभागाध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग, दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय, डॉ गौरव कु० सिंह, डॉ राहुल सिंह, डॉ जितेंद्र प्रताप सिंह तथा उनके अनेकों शिष्यो ने अपना गहरा शोक व्यक्त किया है ।

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