भगवान श्री केशव से बढ़कर कोई देव नहीं है:– धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास
प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम संसार की रक्षा में तत्पर भगवान श्री वेदव्यास ने चारों वेदों का विभाजन कर ब्रह्म कांड और कर्मकांड के रूप में सविस्तार विभाजन किया। कर्मकांड को छोड़कर ब्रह्म कांड में मिलाकर छांदोग्य पुरुष सूक्त, वाजसनेय श्वेताश्वर एवं तैतरीय आदि उपनिषद के सुगम ज्ञान के लिए इतिहास पुराणों की रचना किया।
वेदों से बढ़कर कोई शास्त्र नहीं है और भगवान केशव से बढ़कर कोई देव नहीं है। इस प्रकार श्री व्यास ने वैदिक तत्वों का निर्णय किया। इससे सभी ऋषियों में उनकी प्राथमिकता सिद्ध हुई और पुराणों में पद्मपुराणआदि वैष्णव पुराण माने गए।
मुनि नायक भगवान श्री पाराशर ने पुराण रत्न श्री विष्णु पुराण को बनाया ।जिसमें उन्होंने सम्यकतया चित् अचित और ब्रह्म की विशुद्ध व्याख्या की इसीलिए श्री यामुनाचार्य जी ने भी पराशर मुनि को उदार कहकर प्रणाम किया। इस कारण श्री पाराशर सर्वश्रेष्ठ ऋषि माने गए हैं।
ब्रह्मऋषि भगवान श्री शुकदेव जी ने गंगा के पुनीत तट पर राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत महापुराण के पाठ सुनाते हुए स्पष्ट रूपेण नित्य तत्वों का निर्णय किया है ।उन्हीं के आधार पर वह संसार मुक्त कह गए हैं। भगवान श्री शौनक ऋषि ने विष्णु धर्मोंत्तर पुराण में श्री विष्णु परतत्व का निर्णय अनेक स्थलों पर किया है। उन्होंने बताया है कि संसार के उद्भव, स्थित और प्रलय के एकमात्र कारण श्री विष्णु ही हैं।
वही पुरुषोत्तम हैं।
धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास रामानुज आश्रम संत रामानुज मार्ग शिवजीपुरम प्रतापगढ़