एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं:– स्वामी इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी
प्रतापगढ़ आज काशी से अमृतसर जाते हुए परम पूज्य श्री श्री 1008 स्वामी श्री इंदिरा रमणाचार्य पीठाधीश्वर श्री जीयर स्वामी मठ जगन्नाथ पुरी एवं पीठाधीश्वर श्री नैमिषनाथ भगवान रामानुज कोट नैमिषारण्य का श्री संप्रदाय के भक्तों ने प्रतापगढ़ जंक्शन पर स्वागत किया।
भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्रीमन्नारायण की शरणागति मनुष्य के जीवन का सर्वोच्च विचार होना चाहिए। मनुष्य को अपने गृहस्थाश्रम धर्म का पालन करते हुए बच्चों को अच्छी शिक्षा संस्कार एवं सनातन धर्म के उपदेशों का उन्हें ज्ञान देना चाहिए। हमारे पूर्वाचार्यों ने जो बातें कही हैं उन पर हमें पूर्ण विश्वास रखना चाहिए।
भगवान श्री जगन्नाथ जी इस संसार के दीनों के दीनानाथ हैं। उनकी कृपा दृष्टि सभी पर होती है चाहे वह गरीब हो चाहे अमीर हो चाहे जिस वर्ण जाति का हो। जो भगवान को जिस रूप में याद करता है वह उसके ऊपर सदा कृपा बरसाते रहते हैं। आज श्रावण मास की एकादशी है। एकादशी से बड़ा कोई व्रत नहीं है और वैष्णव से बड़ा कोई जन नहीं है। वैष्णव तो सभी लोग होते हैं लेकिन जो भगवान श्रीमन्नारायण की शरणागति में अपने आचार्यों के द्वारा जाता है वह परम वैष्णव हो जाता है। ठाकुर जी समस्त जीवो एवं संसार का कल्याण करें यही विनती है।
स्वागत करने वालों में धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास आचार्य दीपक संतोष दुबे पूर्व सभासद राजेश दुबे रामानुज दास रामचंद्र उमर वैश्य विश्वम प्रकाश पांडे श्री बल्लभ उमर वैश्य कमला श्रीवास्तव दीपक श्रीवास्तव रोमा श्रीवास्तव प्रतीक पांडे सहित अनेक भक्त उपस्थित रहकर स्वामी जी का मंगल हो, लाल जी का मंगल हो और भगवान श्री जगन्नाथ की जय हो का जय कारा लगाते हुए स्वामी जी का स्वागत किया।